अंगठा छाप विकास,गोरमाटी कविता.

“अंगठा छाप विकास”

म छू अंगठा छाप
करू टांढेर विकास
अवगी निवडणुक
भरियँ फारंम….।.।
● म छू अंगठा छाप कुं विय विकास

वावरेम सुकागी उभी पळाटी
घरेम छेणी छछारून बाटी
माटी छोड मोटी मोटी
हानुती कुं विय विकास…..।।

सोट द चळकीर पाणी
माटीर मातेम बेसगी वाणी
तु छी चौथी पास करिस
टांढेर विकास……।।
* म छू अंगठा छाप कुं विय विकास
सोट रंबो राजकारन
लगा गो अपसेर लढाई
सोट वेगो छेटी आपनच
पडरे बाता, बाती…….।।
*म छू अंगठा छाप कुं विय विकास…
राज कर कोर
जेल भोग गोर
कुं विय बापुर
खरो बोल
* म छू अंगठा छाप करू करु
टांढेर विकास….

वावरेम वेगी लांबडी,
बरू घरेम छेयी पारू
अब कुं करू कत जाण
मरू कर विकास सुरु…..।।
* म छू अंगठा छाप हानुती कुं विय
विकास…..

लेखक..
प्रदिप मानसंघ जाटोद

सौजन्य:- गोर कैलास डी राठोड

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