यह मूलतः भारत एवं चीन में पाया जाता है | इसकी विश्व के सभी उष्ण कटिबंधीय एवं उप उष्णकटिबंधीय देशों में कृषि होती है | चावल के शीतल एवं शक्तिवर्धक होने की वजह से इसका प्रयोग प्राचीन काल से भोज्य के रूप में किया जा रहा है । आयुर्वेद की संहिताओं में चावल के कई भेदों का उल्लेख प्राप्त होता है | धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर के छिलकों को अलग किया जाता है | बिना छिलकों के धान के दानों को चावल कहा जाता है | यह मुख्यतः बारिश के मौसम की फसल है | आयुर्वेद के अनुसार केवल ६० दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं | कारखाने में पॉलिश किये गए चावलों की अपेक्षा हाथकूट के चावल उत्तम होते हैं |
आईये जानतें हैं चावल के कुछ औषधीय गुण –
१- चावलों में चर्बी का तत्त्व बहुत कम होने से ये पचने में अतिशय लघु और हलके होते हैं | चावल के साथ दाल मिलाने से उसका वायुकारक गुण कम हो जाता है | अतः रोगियों के लिए चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी पचने में हलकी और पौष्टिक मानी जाती है |
२- चावल को पकाकर, छाछ के साथ सेवन करने से गर्मी,अत्यधिक प्यास,जी मिचलाना तथा अतिसार में लाभ होता है |
३- चावल को भूनकर, रात भर पानी में भिगोकर सुबह छानकर उस पानी को पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
४- सफ़ेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से झाईयां मिटती हैं |
५- चावलों को पकाकर प्राप्त मांड को या चावल को दही के साथ खाने से दस्त में लाभ मिलता है |
६- चावल की प्रकृति ठंडी होती है | पेट में गर्मी होने पर एवं गर्मी के मौसम में प्रतिदिन चावल खाने से शरीर को ठंडक मिलती है |
७- एक गिलास चावल के पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश व रक्तप्रदर में लाभ होता है |