हकीकत में इबोला मौत का प्रतीक है, इसे डॉक्टर समस्त घातक
बीमारियों का बाप बता रहे हैं। क्योंकि इसमें मृत्युदर 90 फीसदी
तक है यानी जो एकबार इबोला के चंगुल में पांस गया उसका देरसब
oर मौत के मुंह में समाना पक्का है। इबोला वायरस डिसीजइ
ऊवीडी को पहले इबोला हैरेजिक फीवर कहा जाता था। यह इन
दिनों मध्य तथा पश्चिम अफ्रीका के कुछ देशों में बहुत तेजी से कहर
ढा रही है। वेश स्वास्थ्य संगठन-डब्ल्यूएचओ की मुखिया मारग्रेट
चान के मुताबिक इबोला की वजह से अब तक पूरे पश्चिम अफ्रीका में
लगभग 1300 मौतें हो चुकी हैं जबकि तकरीबन 2300 लोग इससे
पीड़ित हो चुके हैं।
चूंकि इबोला संक्रामक बीमारी है और यह बड़ी तेजी से फैल रही
है। पश्चिम अफ्रीकी देशों गिनी, सियरालियान, लाइबेरिया व नाइजीरिया
में फिलहाल इसका भयंकर प्रकोप है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इबोला
प्रभावित देशों को चेतावनी दे दी है कि यह बीमारी नियंत्रण के बाहर
हो गई है यह अन्य देशों में फैलकर महामारी का रूप धारण कर बड़े
पाने पर धनह्नजन हानि कर सकती है। ताजातरीन खबरों के मुताबिक
इबोला के कुछ मरीज सऊदी अरब में भी मिले हैं, लिहाजा अब इसके
हिंदुस्थान पहुंचने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
अगर बात मुंबई की, की जाए तो राज्य सरकार व मुंबई मनपा
प्रशासन ने इबोला से निपटने के हर संभव इंतजाम कर लिए हैं।
इबोला के मरीजों का इलाज (हालांकि इबोला का कोई प्रभावी उपचार
अब तक खोजा नहीं जा पाया है और न ही इस मर्ज का इंफेक्शन
रोकने की कोई वैक्सीन ही बनाई गई है, फिलहाल अमेरिकी
वैज्ञानिक इबोला मर्ज की दवा खोजने के लिए प्रायोगिक उपचार कर
रहे हैं) करने के लिए राज्य सरकार ने सर जे. जे. अस्पताल,
भायखला को नामांकित किया है। अगर किसी व्यक्ति में ईवीडी के
कोई भी लक्षण पाए जाते हैं तो उसे सर जे जे अस्पताल के एक खास
व एकदम अलग वॉर्ड में रखा जाएगा।
जानकारों का कहना है कि इबोला से बचाव के कड़े इंतजाम
करने ही होंगे, क्योंकि इस मर्ज का कोई इलाज नहीं है। यह
आधुनिक युग की सबसे नई महामारी है जो कि एड्स, स्वाइन फ्लू,
बर्ड फ्लू से भी कई गुना घातक है। यह उन बीमारियों में से एक है
जिनकी प्रकृति अति भयंकर है। यह ब्लड या पीड़ित के द्रव (थूक,
पसीने या वीर्य आदि) नीडिल आदि से किसी दूसरे को हो सकता है।
जो लोग इबोला के मरीज की देखभाल करते हैं या जो मरीज के साथ
रहते हैं, उनके भी इबोला से पीड़ित होने का जोखिम ज्यादा है,
वैज्ञानिक इसे हैरेजिक बुखार कहते हैं। इसके शिकार मरीज के
बदन से कहीं भी रक्तस्राव हो सकता है और इसकी वजह से मरीज
की मौत सिर्पा चंद हफ्ते में हो जाती है। इबोला के लक्षणों में बुखार,
सिरदर्द, डायरिया, उल्टी, कमजोरी, जोड़ों या मांस पेशियों का दर्द,
शरीर दर्द आदि है।
आमतौर पर कोई महामारी जब फैलती है तो उस देश में एक
प्रकार की अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाता है। इस बात को
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्लेग, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू आदि
बीमारियों के आने के समय देखा जा चुका है कि कैसे लोग आतंकित
हो जाते हैं और उस देश का सामाजिक, आर्थिक ढांचा बिगड़ जाता
है। इबोला के मामले में ठीक यही हालात मध्य तथा पश्चिम अफ्रीका
के देशों खास तौर पर गिनी, सियरालियान, लाइबेरिया व नाइजीरिया
में नजर आते हैं। इन देशों में इबोला तेजी से लोगों को अपनी चपेट
में ले रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी के वाइरस पीड़ित व्यक्तियों
के साथ अन्य दूसरे देशों में भी जा रहे हैं जैसे कि सऊदी अरब के
कुछ लोगों में (जो कि इबोला पीड़ित देशों से लौटे थे) इबोला के
लक्षण पाए गए हैं। इसी वजह से ब्रिटिश एअरवेज ने लाइबेरिया तथा
सियरालियान की ओर जाने वाली विमान सेवाओं पर पाबंदी लगा दी
है साथ ही यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन-सीडीसी ने
इबोला के बारे में अमेरिकी नागरिकों को चेतावनी भी जारी कर दी है।
वैसे, इबोला एक नदी का नाम है जो कि दक्षिण अफ्रीकी देश
कांगो में है। इसी इबोला नदी के किनारे स्थित यंबुकू तथा सूडान के
निजारा में सर्वप्रथम 1976 में यह महाघातक बीमारी देखी गई
जिसका नाम बाद में इबोला नदी पर रखा गया। हाल के दिनों में
इबोला का पहला मामला इस साल फरवरी में पश्चिम अफ्रीका में देखा
गया और तबसे लगभग 1300 लोग इसकी वजह से मौत के मुंह में
समा चुके हैं। इसके साथ ही, डब्ल्यूएचओ के पास उपलब्ध आंकड़ों
के अनुसार लगभग 2300 लोग इसके शिकंजे में आ गए हैं, पर जहां
तक मुंबई में इबोला के जोखिम का सवाल है तो जानकारों के
अनुसार फिलहाल मुंबई सुरक्षित है। हालांकि डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
के बाद देश के सभी हवाई अड्डों पर शुक्रवार से ही हाई अलर्ट घोषित
कर दिया गया है। इबोला प्रभावित चार देशों से आने वाले सभी
यात्रियों को उतरने के पूर्व एक र्फॉ भरना होगा। इबोला के संभावित
मरीजों के लिए मुंबई मनपा की ओर से जोगेशरी ट्रामा हास्पीटल तथा
कस्तूरबा हास्पीटल चिंचपोकली में खास इंतजाम किया गया है।
बहरहाल, इबोला का प्रकोप एक बार फिर दुनिया में बढ़ा है पर
अभी तक यह पश्चिम अफ्रीकी के सिर्पा चार देशों में ही सीमित है, यह
शेष दुनिया के लिए एक प्रकार से राहत की सांस है और हम
हिंदुस्थानियों के लिए भी। हमारे लिए एक और राहत यह भी है कि
मुंबई और पश्चिम अफ्रीका के बीच कोई सीधी विमान सेवा नहीं है।
बस, एमीरेट्स, केन्या एअरवेज व इथोपियन एअरलाइन्स द्वारा संचालिय
तीन कनेक्टिंग सेवाओं को छोड़कर, फिर भी हमें सावधान रहने की
जरूरत है। हालांकि पिछले दिनों लंदन में डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन
समिति की दो दिवसीय बैठक में फैसला लिया गया कि इबोला के
अचानक असाधारण हमले की स्थिति में अब अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य
इमर्जेंसी घोषित किए जाने का वक्त आ गया है। वैसे तब तक इबोला
से बचाव ही सबसे बड़ा निदान, उपचार व इलाज है।