संत सेवालाल बापूजी के बोल

बापूजी के बोल:
जैसे-
1. कोई केंनी भजो मत, केंनी पुजो मत; तमच तमारे जीवनेंम वजाळो ला सको छो।
2. डावी (पुरोगामी) बाजूं आयं, ऊ तर जायं। जो जमनीं बाजूं (प्रतिगामी) आयं ऊ खतम वेह जायं।
3. जानजों, छांनजो पछच मानजो। सौतार ओळख सौताच कर लिजो।।
4. चोरी मत करो, केरी लोही मत काढजो, हिंसा मत करो।
दारू मत पिओ, रंडीबाजी मत करो; अनितिती मत चालो।

5. जे छाती करीय वोर साथ रियुँ, जे हाय नाकीय वोर ढेर पडीय

6. घर घर नायक वीय,
चोरर घर घी रेडो रेडी हिंदय,
बोडीर सासु सामळीय कोणी,
याडीर बेटा सामळीय कोणी,
याडी न बेटा भारी बेजाय

7. निसर्ग सो कोसप दीवा रीय,
रपया कटोरो पाणी वकजाय,
गावडीर शिंग सोनो वेजाय,
रपयाम बार चणा वकीय,
मलेकर खबर पलकेम कळीय,
बना बळदेय गाडी धासीय

8. ‘सत्य धर्म लिणता ती रेणुर, भवसागर पार करलेणु’ (गोर बोली)
9. किडी मुंगी, खुंटा मुंगरी; सेन साईं वेहेस।
10. गोर केसुलानाई मोरीयाय, मुई मट्टी सर्जीत करीया।
11. गोर गरीबेन जो दांडन खायं,  वोरी 7 पिढी नरकेम जायं।
12. गौर छो तो गौर करो, गौर संस्कृतिरो (गोरवट) जतन करो।
13. जीवन संसारेम केनीभी नानक्यां मोठो मत समजो।
14. नगारा थाळीरे घोरेम (जागृत) रीहीजो

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