” जीवन डोर तुम्ही संग बाँधी ”
जीवन के अंतिम चरणों तक जो साथ हमारा निभाता हैं–
जीवन -साथी वही कहलाता हैं !
जीवन साथी वही कहलाता हैं !
जीबन की नैया को जो पार लगता हैं —
जीवन साथी वही कहलाता हैं !
जीवन साथी वही कहलाता हैं !
जब -जब मुझ पर दुःख आया तो ,
तुमने मेरा साथ दिया ,
हर मुश्किल आसान कर दी ,
जीवन को गुलज़ार किया —!
सात जन्मो के इस रिश्ते को ,
साजन तुमने नाम दिया !
मेरी हर अनदेखी गलती को .
प्रीतम तुमने मान दिया —!
रानी मुझको बनाकर अपनी ,
ममता का सौभाग्य दिया –!
हर पल मेरे तन के सुख पर,
अपना जीवन तार दिया –!
मुझसे शुरू होती हैं उनके जीवन की हर खुशियाँ !
मुझ पर ही ख़त्म होती हैं उनकी इच्छा और रंगीनियाँ !
ऐसे जीवन साथी को रब ने मुझ पर वार दिया –!
दुनियां की हर रस्म निभाकर ,
जब उनसे नाता जोड़ा था ,
क्या पता था जीवन के इस अग्नि -पथ पर —
संग -संग चलना मुश्किल होगा ,
अंगारों से भरी जमीं होगी ,
और झुलसता आसमान होगा,
पर, तुम्हारे साथ ने प्रियतम हर मुश्किल को आसान किया –!
मेरी धर्मपत्नी सौ.योगिता संग शादी के २१ वे साल मे पर्दापण..
३० अप्रैल १९९७ से २०१८