आत्मा वह है जो आदमी के जिंदा रहने तक उसके शरीर में रहती है ।
मरने पर वह शरीर से निकल जाती है।
वह अशांति रहती है । तभी तो उसकी शान्ति के लिए दुवाएँ की जाती हैं !
हे हमारे गोर बंजारा भाई, तुम बंजारा ही बने रहो ।
बंजारा बने रहोगे तो हम भी सवर्ण बने रहेंगे तुम्हारी तुलना में ।
तुम्हारे उलट, तुम्हारे प्रतिपक्ष में ।
तुम सामान्य साधारण मनुष्य, या अवर्ण-सवर्ण कुछ नहीं बनोगे तो हम सवर्ण कैसे बने रह पायेंगें ?
इसलिए हे बंजारा भाई, तुम बंजारा बने रहो ।
इसमें तुम्हारी भलाई हो या नहीं, हमारी तो है !
धन्यवाद
जय सेवालाल जय गोर बंजारा
गोर. रविराज एस. पवार
खजांन्चि
भारत बंजारा भक्ति सेवामाळा समिति.
गोर बंजारा संर्घष समिति (भारत)
स्वयंसेवक
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