बड़ी इलायची के फल एवं सुगन्धित कृष्ण वर्ण के बीजों से भला कौन अपरिचित हो सकता है | भारतीय रसोई में यह इस तरह से रची बसी है कि इसका प्रयोग मसालों से लेकर मिष्ठानों तक में किया जाता है |इसकी एक प्रजाति मोरंग इलायची भी होती है| यह पूर्वी हिमालय प्रदेश में विशेषतः नेपाल,पश्चिम बंगाल,सिक्किम,आसाम आदि में पायी जाती है | इसका छिलका मोटा तथा मटमैले रंग का धारीदार होता है | इसके बीज कृष्ण वर्ण के शर्करायुक्त गाढ़े गूदे के कारण आपस में चिपके हुए होते हैं | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फ़रवरी से जून तक होता है |
इसके बीजों में ग्लाइकोसाइड,सिनिओल,लिमोनीन,टर्पिनिओल,फ्लेवोनोन आदि रसायन तथा वाष्पशील तेल पाया जाता है | इसके तेल में सिनिओल की अधिकता पायी जाती है |
आज हम आपको बड़ी इलायची के औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे –
१- बड़ी इलायची को पीसकर मस्तिष्क पर लेप करने से एवं बीजों को पीसकर सूंघने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है |
२- बड़ी इलायची को पीसकर शहद में मिलाकर छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं |
३- यदि दांत में दर्द हो रहा हो तो बड़ी इलायची और लौंग के तेल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीड़ायुक्त दांत पर लगाएं ,दर्द में शांति मिलेगी |
४- यदि अधिक थूक या लार आती हो तो बड़ी इलायची और सुपारी को बराबर-बराबर पीसकर ,१-२ ग्राम की मात्रा में लेकर चूसते रहने से यह कष्ट दूर हो जाता है |
५- पांच से दस बूँद बड़ी इलायची तेल में मिश्री मिलाकर नियमित सेवन करने से दमा में लाभ होता है |
६- दो ग्राम सौंफ के साथ बड़ी इलायची के ८-१० बीजों का सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है |
७- एक ग्राम बड़ी इलायची बीज चूर्ण को दस ग्राम बेलगिरी के साथ मिलाकर प्रातः सायं सेवन करने से दस्तों में लाभ होता है |
८- पिसी हुई राई के साथ बड़ी इलायची चूर्ण मिलाकर २-३ ग्राम की मात्रा में नियमित सेवन करने से लीवर सम्बंधित रोगों में लाभ होता है |
९- एक से दो बड़ी इलायची के चूर्ण को दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से शरीर का दर्द ठीक होता है |