!!ऊतरारो तावड़ो!! कवि: सुरेश मंगुजी राठोड़,

०००००० !!ऊतरारो तावड़ो!! ००००००

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ऊतरार तावड़ेम

जीव घबरावं..!

हाड़े मासेर गोळान

पाझर फुट जावं……!!१!!
मधेमचं आभाळेम एकांदी 

ढग चलो आवं..!

हावारे झोकेती परीस्ना

थंडोगार लाग जावं…..!!२!!
परीस्नाती डिलेपर

कपड़ा भिंजा जावं..!

तुटे ताटे दोड़ चपलेती

याड़ीरो आधो पग भुंजावं.!!३!!
फाटे फुटे फेटीयार याड़ी 

करलेताणी खोळो..!

तोड़ मुंग वड़द बरबटी

ओरो सुका जाव गळो…..!!४!!
दन दोपेर शिळेपाळे 

चाबच ऊ टकड़ा..!

सांजेसारु माथेपर लेल

दी चार लकड़ा….!!५!!
सांजपड़ी दीवो बाळ

चुलो चाको कर..!

घरेदारे सारु याड़ी

रोज मर मर कर…!!६!!
कांई सुचो देवेन ऊ

याड़ीन कूं घड़ो..!

ओरे जीवणेम रोज

ऊतरारो तावड़ो..!!७!!

रोज ऊतरारो तावड़ो

Suresh Manguji Rathod

कवी= सुरेश मंगुजी राठोड़, काटोल-नागपूर
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प्रमुख प्रतिनिधी. रविराज एस. पवार

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