*वाते मुंगा मोलारी*
my swan song
*गोरबोलीभाषा/गोर संस्कृती बचाओ अभियान*
भियाओ..
तम कुणसे धर्मेर, कुणसे पक्षेर,कुणसे विचारेर समर्थक छो येती मन कायी लेणोदेणो छेइ;चालतू छेडा मनं केती कज्ज्या भी करलेयेर छेनी आखरी तम मारज छो..ये वादविवाद, कज्ज्याती गोर बोलीभाषा/ गोर संस्कृती दुर्लक्षित वेरी छ इ घण दखेर वात छ.गोर बोलीभाषा इ हामार मातृभाषा रेताणी भी बोलीभाषा साहित्य हामनेन वाचतू आयेनी..तो पचं हामार संस्कृतीर मुंडो हाम कत देखा? गोर बोलीभाषा/ मौखिक साहित्य इ गोरुरो ऐतिहासिक पुरावेरो एक महत्वपूर्ण साधन छ..इ आबं सिद्ध भी वेगो छ.इ साधन आपण गमान बेसगे तो आपणो गौरवशाली इतिहास भी गमा जाये इ विचार भी घणो महत्वेर छ.एकांदी समाजेन नष्ट करेर विये तो ओ समाजेरो इतिहास नष्ट करनाको तो ऊ आपोआप नष्ट वे जावचं..इ विचारवंतेरो केणो छ.गोरुरो इतिहास इ लोकसाहित्येम जपो हुवो छ.इ इंग्रज अभ्यासकेन मालम रं; करन लोकसाहित्येन *फोकलोर* कतो मुर्ख, रानटी लोकुरो ज्ञान हानू गैरसमज करताणी हामार वाड;मयीन अभिरुचीर आवड नष्ट करेर षडयंत्र रचे..हाम हामार मातृभाषा साहित्येती घडम चलेगे..आतज हामारो वैचारिक पतन हूवो.
*पिपळी* इ नाम गोर संस्कृतीमं काहा रुढ छ. पिपळ इ गेनेधेनेर संकेत देयेवाळो झाड छ.आज भी गोर संस्कृतीमं छच्यापरेन *बोलतो* करेसारु ओनेर गळेमं सणेर तारेती पिपळेर पान भांदचं.गोर लोक वेंडे र कायी? पिपळ इ गोर संस्कृतीमं *ट्री ऑफ नाॅलेज* करन ओळखावचं.बुद्धी अन तर्क येर परं भी एक अदभुत शक्ती छ जेर ऊत्तर बुद्धीन भी लाबेनी.येनज
*रोमॅटिसिझम* कचं .ये रोमॅटिसिझमेर घणे संदर्भ गोर लोकसाहितेम आज भी जिवते छ.ये जगमान्य अदभुत सिद्धांतेरो *मायरो* इ तांडोज छ.इ मारो दावो छ.इज सिद्धांत महाकवी कालिदासेर नामेती ग्लोबल वेमेलो छ, हाम मातरम आजी घेरी निंदेमज छा…!गोर संस्कृतीरी आजी खुब वाते मुंड्यागं आयेरी पडी छ.लकेर भी सुरुवात वेगी छ..येर सारु गोरबोली भाषा ई जतन रेणू इ गरजेर छ..लोक साहित्य गोकन रकाडो…इ हात जोडन मार इन्ती छ..!
भीमणीपुत्र
मोहन गणुजी नायेक
प्रमुख प्रतिनीधि
रविराज एस. पवार
8976305533