“गोरमाटी गोरबोली भाषान,भाषार दर्जा कु कांयी मळीय..? एक वैचारिक अभियान”

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“जय गोर….जय सेवालाल…जय वसंत”

“गोरमाटी गोरबोली भाषान भाषार दर्जा कुकंळ मळीय ? — एक वैचारिक अभियान”

✍ प्रा.दिनेश सेवा राठोड                      @ 9404372756

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भाग–3

.. शहरेम गोरबोली भाषान चाव वोसो प्रतिसाद छेनी.. आपंळ गोर वेगवेगळे जाती समूहेर सोबत रेयेर येती आपंळ गोरबोली खतम वेयेर कन आन पूचगीच..गोर बोलीन  बचानो कतो यी बोली   बोलवाळ   समुदाय न बचानो छ.  समुदाय  सार जे नवीन विकासेर  विचारेती  पीड़ित छ वोनेसार आजेर घडीम एक नवीन माइक्रोप्लानिंग करेर गरज छ.

असे जे समुदाय जे व सागर तटीप रच , जे घुमंतू वीमुक्त समुदाय छ, पहाड़ी इलाके मायीर मैदानी व  शहरी मायीर समुदाय  लोकूवास अलग योजना रबानो गरेजेर छ तोच येनूर बोली भाषा बचीय.भाषा तज्ञ डॉ.देवी र केंळो छ की लोक शहरीकरण यी भाषार  खतम व्हेयेर  कारण मानच , पंळ वोर हिसाबेती  शहरीकरण भाषावास    खराब छेनी . शहरेंम ये भाषावासा  आपआपंळी  एक जागा रेयेन चाय . मोठे शहरेंमायी बहुभाषीक लोकूसोबत रेतानी आपंळ गोरबोलीन नव  उभारी देयेसार  संस्कृतीर जागेर कार्यक्रम साजरो करणोबी गरजेर छ…से भाषान आज चाव वोस सुरक्षा मळेन चाय.वोरेवास सासनेर बकमीसी योजना छ.वोर अमल पंळ करेर गरज छ. जसो.. साहित्य संमेलन व सांस्कृतिक महोत्सव येमायी भाषा संवर्धन करनो आजेर गरज व्हेगीच..

जे समूदायेनी लिपि छेचा वोन बोलीभाषा केयेर   रिवाज़ छ .. भाषा व बोलीम घंळो फरक न समजंळो.हनू देखेतो अंग्रेज़ी भाषानभी स्वतार लिपि छेनी  वू  रोमन लीपीम छ तरी जगेम अंग्रेजीर कतरा बोलबाला छ,. आजकोयी भी लिपिर वापर दनियार  कोयी भी भाषा सार वापर सकाचा. जो भाषा प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी में नहीं आई, आज तो सरकार  न तो भाषान जन्म दच न   भाषार  पालन कररीच . पंळ कनायी कनायी सरकारेर   नीतिती भाषा वेळेर आंग मर सकच यीबी वोतराच खरो छ.हैं. करन आपळेंनबी आपंळ भाषार जागृती करेर कामेन जुडेन चाय.वोर सोबत सरकारेनबी खतम वेयेवाळ बोली भाषाप ध्यान देनों आन वोर  विकास करेवास एक वेगळोकी माइक्रो प्लानिंग करेरबी वोतरीज गरज छ.. वोम हामार सक्षम राजकीय नेतृव सुध्दा कामेर छ..जना हमार देशेमराष्ट्रीय स्तरेप येखांदी योजना बनच.वोर परिणाम  राज्येम दकान पडच जसो  1952 र बादम आपंळे  देशेम  भाषावार प्रांत बळें.करन हाम मानाचा  कि हर राज्य वो  भाषा  राज्य छ..संविधानेर  भाषार शेड्यूल म आज  22 भाषाएं छ. निसता वोनच सुरक्षा न दैता बोली भाषार संवर्धन र भी भेदभाव नकरता सुरक्षा देनो वोतराज  गरजेर छ.  सरकार हनु न किदीतो  बाकीर से बोली भाषा मरेर वाट पकडलीय.

आपंळे समाजेर गोर बोलीभाषार अभ्यासक संशोधक जानकार आदर्श गोरवादी जेष्ठ साहित्यिक. बापू भिमणीपूत्र, मोहन गणुजी नाईक आपंळेवास बहुमोलेर सल्ला दिनोच वोनुर केळोंछ की देशपातळीप गोर बोलीभाषिक लोक गणेर मजबूत संघटन करतांळी देशपातळीप गोरुर एकच जात, धर्म, लिपीयेरो ऐकच डाटा चावच वू म्हणजे गोर गोर फक्त गोरच रेंळो.वोर सोबतच बोली भाषिक लोक गणेर (गोरमाटी) भाषा प्रमांळ जणगनना विय तोच आंपळ गोर बोलीन घटनार 8 वी सूचीम सामील वेयेर रस्ता मोकळो वीय.. नीती आयेवाळे काळेंम गोरबोली मरेर घटका मोजती रीय..अन आपंळ तमासो देकूकरीया…             Ref..1..people’s linguistic survey              2. Mohan Naik’s research

क्रमशः —- आंगेर भागेम..

सौजन्य:- गोर कैलास डी राठोड

गोर बंजारा न्यूज पोर्टल मुंबई महाराष्ट्र राज्य,

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