गोरमाटी गोरबोली भाषान भाषार दर्जा कुकंळ मळीय ? – एक वैचारिक अभियान,
✍ प्रा.दिनेश सेवा राठोड
कवळा तांडा जि.यवतमाळ
भाग–4
“गोरमाटी बोली भाषार भाषा-विज्ञान”
‘गोरमाटी’म्हणजे ‘गोर’ इ एक असो गोर लोक गणेर संपंन्न ऐतिहासिक वारसा जपेवाळो समुह पुरे भारतेम बिखरो हुओ छ. प्राचीन काळेकनती एक आपंण एकच धाटीन जपतो आरोच. सर्वगुणसंपन्न वेयेर बादभी चाव वोस प्रगति कर सको कोणीं कायी प्रमाणेंम आचो नेतृत्व मळो.पण वोर वोतरा फायदो पदरेम पडो कोंणी. मौखिक संस्कारेर साक्षात्कार गोर गणेर लोकूकंण आजभी छ. गोरमाटी / गोरबोली भाषार सहवास शहरीकरणेती दूर दूर जारोच. इ बोली जी तांडेर एक सीमित क्षेत्रम वोतेर गोर गणेर जनसमुदाय आपण नीजि व्यवहारेम उपयोग आजही करतो आरोच.आजही पूरे देशेम आपंण एकच बोली भाषा छ. ये गोरमाटी बोली भाषार कोई आपणो नियमित व्याकरण भी छ . ही भाषाशास्त्रेर नियमभी छ. लिपि न रेयेर कारणेंती ,देवनागरी लिपीर आधारेती कसीतरी आपंण बोली टिकन छ . डॉ. गणेश देवी साहेब भारतीय भाषार लोकसर्वेक्षणेर काम 13-14 सालेती चालो सर्वेक्षण म यी सत्य समोर आयोच की जर असी बोलीभाषान न बचाया तो देशेर 250 ती ज्यादार भाषा खतम वेजाय. अंदमान बेटेप ‘ बो ’ नामेर एक भाषा छ इ भाषा बोलेवांळ शेवटेर एक बाई 6-आक्टो.-2010 न मरीच वोर सोबतच 65000 सालेर जून बोली भाषा खतम वेगीच.करतांणी ‘गोरमाटी बोलीभाषान’ देवनागरी लीपीर आधारेती बचायेर कोशिश करणों वोतराज महत्त्वेर छ, बचायेर दृष्टिती शोध कार्य करु लागीय. भीमणीपुत्र मोहन नाईक बापू ये संदर्भेम बोली भाषा सौंदर्य वीषयी खुपच आचो संशोधन आपंणेरआजेर पीढीवास तयार कीदेच.यीवात इतीहासेम कतीच सापडेनी.
आजेरआपंण पीढीन भाषा बचाव मोहिमेवा सयी वरदानच रीय .
गोरबोली लोक साहित्य आन लोक गीतेर भंडार छ. वोम अक्षय शब्द संपत्ति जपरीच. वोमायीती हमारो शब्द भंडार संपन्न छ.. हर भाषा आरंभावस्थाम एक बोलीच रच. बोली जना वू संस्कारेती भरजाय जनाच वू भाषा तयार वच. मौखिक बोली जना लिपि र आधारेती लिखित रूप धारणकरच जना
भाषा बनच आपणेंर गोरमाटी भाषान घटनार 8 वी सूचीम लायेवास देवनागरी लीपी शिवाय पर्याय छेचा.अन बोलीभाषा मायीच आपणो बकम साहित्य तयार वीय तोच गोरबोलीभाषान आचे दन आय.। विश्वेर समस्त कलार श्रेष्ठ अभिव्यक्ति भाषार माध्यमेतीचदकानपडच.भाषार अस्तित्व लायेवाळो मूलभूत तत्त्व उच्चारण छ… भाषार मौखिक रूप ‘बोली’ ऐतिहासिक दृष्टि ती घंण प्राचीन छ ,कतो वोर लिखित रूप परवर्ती छ.भाषार मानकीकरणेर अर्थ यीच छ की वोर उ ‘बोली’ रूपेन विकसित करणों छ. जनाच वू व्याकरणिक सांचाम आय. आन वोमायीती जना अपनों साहित्य लकेम आय , जनाचवू बोली’र रूप बदलान भाषार ’र संज्ञा मळीय. जनां बोलीन पहले लिपि प्रदान वीय जनाच गोरमाटी सरीकी से गण जनसमुदायेर बोलीन भाषार दर्जा मळेर मार्ग मोकळो रीय.येमायीती
इ निश्चित हमारो सेरो यी दायित्व छ गोरबोलि मायीती व देवनागरी लीपीर वापरन हामार इतिहास ,अनुभव संस्कृती, गीत, स्मृति, साकी शास्तर येर रूपेती सुरक्षित रकाढनो छ. यी काम हाम सरकारेर भाषा प्रौद्योगिकी खाते सामू रेटावू लागीय. हामारो मंत्री,मा.संजयभाऊ राठोड ये कामेन घंणो रेटा हातभार लगारोच.डॉ.अर्जुन सि.भुकीया यी गोरुन प्राचिन ते आधुनिक गोर संस्कृती व टांडा सिस्टमेर अभ्यासक तज्ञ छ, खुपच आचो मार्गदर्शनेर काम कररेच.. हामार गोरमाटी बोली भाषान देवनागरी लिपिर व्याकरनेर ढाचाम बांधू लागीय. जनाच आंगेर कामेर वाट मोकळ वीय.गोर साहित्य व संस्कृती संमेलनेर आयोजन करन से ये वातेप चिंतन करणों गरजेर छ.अत्यंत भावपूर्ण आसे हामार लोकगीत लोकगणेर सांस्कृतिक संपन्नता छ.गोर बोली भाषा तज्ज्ञ भीमणीपूत्र मा. मोहन नाईक साहेबेर सुद्धा केणो छ की भाषाशास्त्रेर दृष्टिकोनेती गोरमाटी लोकगीतेर महत्त्व निर्विवाद छ.ये से वात आंग काम आयेवाळ छ.
संदर्भ :1.गोरपान, गोर बोलीभाषातील भाषा सौंदर्य भीमणीपुत्र,मा.मोहन नाईक
2.People’s linguistic survey- Dr.Ganesh Devi
3.नागरी संगम,नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली,
क्रमशः….
सौजन्य:- गोर कैलास डी राठोड
गोर बंजारा आँनलाईन न्यूज पोर्टल मुंबई महाराष्ट्र राज्य.