मुम्बई: अपनी अलग संस्कृति, खानपान, वेशभूषा और अपनी अलग भाषा की पहचान बंजारा समाज की है। बंजारा समाज की अपनी स्वयंम संस्कृति, भाषा, अपनी खुद की न्याय व्यवस्था, पूजन व्यवस्था है, हजारो वर्षो से बंजारा समाज की संस्कृति आज भी जीवित है। बंजारा समाज का भी अपना धर्म है, जिसे गोरधर्म कहा जाता है। आज इस गोरधर्म को संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए इसके लिए अब बंजारा समाज जागृत हो रहा है, जैसे अन्य धर्म को भी संवैधानिक दर्जा दिया गया है वैसे गोर धर्म को भी धर्म की मान्यता मिले उसके लिये, आंदोलन, रैलीया निकाली जा रही है। आज तालखेड फाटा, महाराष्ट्र में रास्ता रोको आंदोलन किया गया। गोर धर्म के अनुयायी भव्य संख्या में उपस्थित थे, महाराष्ट्र सरकार से मांग की है गोरधर्म को धर्म की मान्यता मिले.
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