आज हमे ऐसा चित्र नजर आ रहा है।
की हर कोई नेता होना चाहता है !एक झुण्ड(ग्रुप) बनानेका सहविचारी लोगोके लेके संघटन स्थापित हो रहा है । अच्छी बात है हजारो संघटन हो लिकिन उद्देश् एक होना जरूरी हो । कोई एक मंच पर सविस्तर चर्चा के आधार पर विषय का हल ढूंढने कीेे मानसिकता होनी चाहीय! आज कहि समाजसेवक अपना ज्ञान या अज्ञानका प्रदर्शन करते नजर आ रहे है।
हमे भेड बकरी समज के रखने में होड़ लगी है ।अराजकीय लोग राजकीय लोगोको नीचा दिखानेका कोई भी मौक़ा छोड़ते नहीं ।एक संघटन दूसरेको अपमानित कर रहे है तथा प्रतिस्पर्धी के नजरिया से देख रहे है
क्या ए संस्क्रुति है हमारी? क्या संत श्री सेवालाल महाराज से एही सिख ली हमने?
कोई सच्चे दिल से समाजके प्रति काम करना चाहते है तो विरोध करते नजर आते है ।अपने विचार के साथ तुलना करते है ये जरूरी नही किसीका विचार आपसे मिले. कभी शक होता है की हम लोकशाही में जी रहे ? अगर
लोकशाही में जी रहे है तो सबको ए हक है की अपना पक्ष रखे आपको सही या गलत ठहराने का कोई हक तथा अधिकार नही है।
समाज को हर पल गाय बैल जैसा गलेमें लकड़ा (लोडना)डालके दौड़ाना चाहते है क्या ओ दौड़ेगा कभी होड़ में जित पा सकेगा ?
स्त्रियो के बारेमे कोई नेतृव करते नही नजर आ रहे है वजह ये है की महिलाओको प्रतिनिधित्व नही मिल रहा है नाही कोशिश
होती नजर आ रही।
मेरे समाज के स्त्रीयोका जीना जानवर से भी बेहत्तर है पितृ सताक ने उन्हें बंधी बनाया है
कोई भि माँ बहिनो के स्वास्थ्य संवाधिनिक हक तथा अधिकार के बारेमे नही सोचता शिक्षित नही करना चाहता ,जो शिक्षित है उने चुला च्याकि में व्यस्त रखते है!क्या इसके लिए राजमाता क्रांति ज्योति सावित्री फुले ने कीचड़ कूड़ा कचरा सहा.
उन्हें भोग वस्तु की तरह इस्तेमाल हो रहा है।
कोई भी बंजारा संघटन ये काम नही क्ऱ रही
क्यों नहीं कर् रही क्योंकि इसमें लडना पड़ेगा उनके साथ गन्ने के पाल में जाना पड़ेगा अपनी माता भगिनी को मुख्य प्रवाह में लाना पड़ेगा .
कहि जगह बाल अवस्था में शादिया हो रही हैंउन्हें आशीर्वाद देने भी पहुँच ते है बल्कि कोई चिकित्सा नही करते की इनकी उम्र क्या है।
बालिका या बालक मानसिक रूप से सम्भल भी नही उसे शादी के कुए में धकेला जा रहा
है ।और कन्या एक वस्तु की तरह गन्ने तोड़ने वाले के हवाले करतेे नजर आ रहे ।आज व्यवस्था ये है गनने के काम के लिए जैसे बैल की जरूरत होती है उसी तरह काम के लिए मानव जोड़िकि जरुरत होती है इसलिए शादी आवश्यक है ! विवाह के लिए इनके ठेकेदार या मुकादम पैसा देता है ।और वह अलिखित करार करता है की विवाह के पच्यात ये जोड़ी मेरे हवाले करना होगा। कोहि भी नेता या संघटन उस गन्ने के मुकादम से जबाब नही मांगता .क्या इनका स्वास्थ और शिक्षा की जिम्मेदारी ली है !क्यों निजी स्वार्थ के लिए बेटबिगार जैसे करार करते है?कितनी जिन्दिगिया नरक यातना सह रहे है! हम आँख होक भी अंधे से रहे क्याउन्हें इंसान बनके जिनेका कोई हक नही क्या?
कभी सोचा है ये बेटबिगार अवस्था किसकी वजह हुई हमारी वजहसे ,लेकिन हम स्वीकार नही करेंगे क्यों की हम बुद्धि जीवी है हम केवल हमारे परिवार के लिए जीते हैं
हमे सरकारने और नेताओंने नाल मार् के रख दी है ना चल सकते है ना दौड़ सकते है हम लाचार बन गए उसे पूरी सिस्टम जिम्मेदार है
आज देखनेमें आ रहे।जो अन्य समाजके विचार से भ्रमित है। ओ प्रथम
दूसरे का कटोरा उठाना बन्द करे ! हमारा स्वाभिमान गिरवी मत रखियेगा।
मै शाशंक हूँ क्या हमारा कोई अस्तिव
कोई दायित्व नहीं? कोई समाज के हित में काम करता है तो दलाल तथा बिकाऊ की उपमा देते है।हमें किसीको ऊपर देखना पसंद नही करते ।इर्षा करते है।आलोचना करते है।
ये अपने खून में खराबी है क्या ?
क्यों? क्यों?
किसी भी संघटन ने समाज के प्रति काम करना चाहां तो दूसरे संघटन वाले अलिख़ित बहिष्कार करते है! अपनी क्या ये योग्यता है हमारा समाज के प्रति एहि उद्देश् है क्या?
कुछ अन्य समाज (धरम) के विचारसे प्रभावित लोग आश्रम स्कुल तथा सेवा भावी संस्था को निशाना बनाते नज़र आ रहे हैं।क्या कभी उनकी अड़चने देखि है? क्या उस संस्था को सरकारीअनुदान वक्त पे मिलता है या नहीं ?बाल गोपाल के पढने के लिए खान पान के व्यवस्था के लिए क्या क्या अड़चनो का सामना करना पड़ता हैं ?
सिर्फ गैरव्यवहार
ही होते है क्या?
कुछ स्कूले वसंतराव नाईक का नाम रोशन कर रहे है।
बाल गोपाल शिक्षा प्राप्त कर रहे है बालिकाए 10 वि 12 वि तक पढ पा रही है ।ये वास्तविक असल में सामाजिक सेवा हैं।
लेकिन कुछ समाज कंटक इसमें बाधा डाल रहे है।बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लियें समाज में विद्रोही भूमिका निभा रहे है।सभी संस्था चालक को निशाना बनाके फर्जी केसेस डालके हैरान करने में जुटी है ।सभी को एकहि तराजू में तोलना कहां की बुद्धिमानी है ?जो है ओ टिकने नहीं देते जो नही उसको कोसते है
आज आश्रम स्कूल के बदौलत लाखो बच्च्े शिक्षित हो रहे है ये वास्तव है!आप जो समाज के प्रति प्रेम जताने वाले कभी बचोके लिए कोई पुस्कालय या कोई सेवा प्रधान की है ?जबाब नही।
सिर्फ जो हमें नही मिला उसके लिए दुखी होते है और जो योगदान दे रहे उनके प्रति जलन हो रही है ईर्षा है।
हमारा समाज के प्रति क्या दायित्व हैं ये समजने की आवश्यकता है ।साथियो उसके लिए निचला (root level)स्तर पर काम होना जरूरी है।
हमे निचला स्तर पे काम करके बेस मजबूत
करना होगा .एक समृद्ध अभियान सभी संघटन के माद्यम से एकहि एजेंडा द्वारा
चलानेकी की मनोकामना करता हूँ ।अगर ऐसा हुवा तो मै और मेरे सहविचारी के लोग हजार बार नमन करेंगे।
युवा पिढिसे विशेष अनुरोध करता हूँ कृपया
इस सामाजिक परिवर्तन के लिए आग्रही भूमिका ले।
ये मेरा खुद का विचार है ।ओ मानना मेरा आग्रही भूमिका नहीं । ये मेरी आत्मिक पीढ़ा हैं।
जय सेवालाल
गोर बंजारा समाज के आधार तथा आस्था वाले नेता गण तथा संघटन नायक के बारेमे खेद….
✍️ सुखी चव्हाण, बदलापुर
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य(AIBSS)
मुख्य संयोजक
अखिल भारतीय गोर बंजारा साहित्य सम्मेलन
मुम्बई 2018 आयोजक AIBSS