गोर वंशीयो के सामाजिक धार्मिक जीवन में गोत्र को वंश से अधिक महत्त्व दिया जाता है। जिस गोत्र में उसका जन्म हुआ ,उस गोत्र के सात पीढ़ियों के प्रमुख के नाम उसे याद रखने पड़ते ,नहीं तो उसे कमसल माना जाता।
राठोड वंश का गोत्र :
उदयकरन (उदयानंद ) के फूलसिंग के बाला और भीका दो पुत्र हुए।
बाला के 6 पुत्र :
1. मालण 2. मोहन 3. मुछाल 4. जाटिया 5 . धर्मसोत 6. बारणोत
भीका के 2 पुत्र : 1. मेनसी 2. मलसी
मेनसी के 4 पुत्र : 1. डालु 2. पेरी 3. पोता 4. सदरथ
मलसी के 10 पुत्र : 1. रामनिया २. बोचरान ३. धालबाण 4. खलवाण 5. गोपाल 6. मोदरीचा 7. कुकरेचा 8. खाटरोत 9. मालपोत 10. बहदोत। (१४)
खाटरोत के २ पुत्र :
1. डाहा डाहा के १ पुत्र मेघा २. बेगा बेगाके १ पुत्र खमधर।
मेघा के ६ पुत्र : १. अन्ना २. अरसी ३. डुंगा ४. लख़सी ५. जुणसी ६. भुणसी
खमधर के ७ पुत्र : १. उड़ावत २. किणसोत ३. पालोत ४. धानावत ५. रामावत ६. कर्मटोत ७. देवसोत (१३) राठोड ७ गोत्र
१. भीका से“भूक्या” २. बालासे“बाळणोत” ३.“ढालवण” से आलोत ४. मोहन से“मुणावत” ५. मुछाल ६. जाटियासे“जाटोत” ७. धरसोत
१. चक्री गढके चव्हाण के छह गोत्र है : चव्हाण
१.पालथ्या २. कर्रा ३.मुड ४.लावडिया ५.केलुत ६.सपावाट
२. पवार: धारानगरी के १२ गोत्र है :
१.झरपला २. विशलावत ३. आमगोत ४. वॉकडोत ५. बिंजरावत ६. लुणसावत ७. गोराम ८.आयोत छेइयोत ९.वाणी १०. वाकाडोत ११. तारंवानी १२. लोकावत
३. जोधपुर के देमा गुरूके (देवा-मेघा) राठोड के कुल सताविस गोत्र निम्न प्रकार के है.
सेवा सात झंगी के १४ चौदह है
१.खोला २. खाटरोत ३. रातला ४. मोदराचा ५. दमानीया ६. जिन्दावत ७. हारावत ८.दालवण ९. सदारत १०.धानावत ११.आनावत १२.देवारत १३.मालनोत १४.लकसोत
४. गोलावत भंगी नायक के १३ पाडे है
१. धेगावत २. खेतावत ३. कड़ावत ४. रामावत ५. राजावत ६. देवसोत ७. करमटोट ८. पतलोत ९. नेणावत १०. रणसोत ११. उदावत १२.मेघावत १३. सांगावात
५. भीका -बालाबाळणोत (आड़े ) के ७ गौत्र हैं
१. बाला २. मुच्छाळ ३. मुणहावत ४. धरमसोत ५. जाटोत ६. आलोद ७. बाळणोत
५. तुरी के ४ गोत्र है
१. जेसावत २. राजवान या राजावत ३. तेजावत ४. बिजोद
६. जाधव वडतिया के बावन पाडे है परन्तु२० मुख्य है
१. भगवान दास २. बादवात ३. बोड़ावत ४.लाखावत५. उदावत ६. लोणावत७. कुणसावत ८. सेजावत ९. धारावत१०. तेरावत ११.तूवार १२. डुंगरोत १३. मेरावत १४.टलावत १५.मालोत १६. टोपावत १७ अजमेरा १८. पूरणमल१९.भरोत २०. मोहनदास