जन्म दिन मुबारक उड़न सिख मिल्खा सिंह राठोड़ जी !

Milkha Singh Rathod

Milkha Singh Rathod

देश के लिए अनेक बार खेलों में गौरव हासिल करने का कारण बने उड़न सिख मिल्खा सिंह राठोड़ ने कभी नहीं चाहा था कि उनका बेटा जीव कभी खिलाड़ी बने। वे बचपन से ही उसका खेलों में जाने का विरोध करते थे। वे चाहते थे कि उनका बेटा डिग्री लेकर डॉक्टर बने, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके। यह खुलासा शनिवार को खुद मिल्खा सिंह राठोड़ ने किया। इसका कारण भी उन्होंने बताया। उन्होंने कहा कि हॉकी की शान मेजर ध्यानचंद को अपने समय में कुछ नहीं मिला। उन्हें फटे जूते पहनकर खेलना पड़ता था। महान क्रिकेटर लाला अमरनाथ को महज दो रुपए प्रति मैच फीस मिलती थी।

जीव ने हिम्मत नहीं हारी, आज पिता पुत्र दोनों हैं पदम श्री

मिल्खा सिंह राठोड़ ने कहा कि उनके विरोध के बावजूद जीव ने कभी हिम्मत नहीं हारी। हमेशा कहा कि उन्हें गोल्फर ही बनना है। वो दिन में छह-छह घंटे तक अभ्यास करता था। चोट लगने के बाद भी पीछे नहीं हटा। आज बतौर गोल्फर उन्होंने देश के लिए बहुत सम्मान अर्जित किया है। देश में वे पिता पुत्र हैं जिन्हें दोनों को भारत सरकार की ओर से पदम श्री सम्मान मिला है। ओलिंपिक पदक बाबत पूछे जाने पर मिल्खा सिंह ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें दौड़े 60 साल हो चुके हैं, लेकिन बेहद दुख की बात है कि 125 करोड़ जनसंख्या वाला हमारा यह देश दूसरा मिल्खा पैदा नहीं कर सका। मेरी नजर में आज ऐसा कोई है भी नहीं जिससे देख मैं कह सकूं कि वह ओलिंपिक पदक जीत सकता है।

ऐसे आएंगे ओलिंपिक में मेडल

उन्होंने कहा कि ओलिंपिक में मेडल एक दम से नहीं आएंगे। इसके लिए बड़े प्लान की जरूरत है। हमें प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को स्कूल स्तर से ही एकत्र करना होगा। लगातार कंपीटिशन कराने होंगे, क्योंकि अगर किसी खिलाड़ी ने 100 मीटर मीटर की रेस 11 सेकेंड में पूरी की और अगले साल वह इतना भी समय नहीं निकाल पाता है तो पता लगता है कि हमारी मेहनत कितनी कमजोर है।

तीन बार रोया, लेकिन अंतिम ख्वाहिश कोई ओलिंपिक पदक का सपना पूरा करें : 86 साल के मिल्खा सिंह ने कहा कि वे जीवन में तीन बार रोए एक जब विभाजन हुआ, दूसरा ओलिंपिक पदक मिस होने पर और अब फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ में दोबारा ये सब देखने पर। अब खुशी का वह लम्हा देखना चाहते हैं, जब कोई एथलीट ओलिंपिक में पदक जीतकर आए। यही उनकी अंतिम ख्वाहिश है।

यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि उड़न सिख मिल्खा सिंह राठोड़ के बड़े भाई सवरगीय सरदार मखन सिंह राठोड़ आल इंडिया बंजारा सेवा संघ के चंडीगढ़ महानगर यूनिट के अधयक्ष रह चुके हैं. बाबा बचित्र सिंह बिंझरावत यादगारी संस्थान रोपड़ की सथापना में भी उन्होंने मुख्य रोल निभाया था.

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