“जब हमारा दिमाग कमजोर होता हैं। तो गोर माटी समाज कि परस्थितीया बनजाती हैं।:-

जब हमारा दिमाग कमजोर होता है,गोर माटी समाज की परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं। जब दिमाग स्थिर होता है तो समाज के ऊपर जो परिस्थितियां  आयीं है ओ चुनौती बन जाती हैं किंतु जब  हमारा दिमाग मजबूत होता है, तो सोचने समजने की ताकद बन जाती है की हम समाज के प्रोभोदन के लिए क्या करना पड़ेगा  ए सोच मन में आती है !भाइयो ,इस  वक्त हमे संत गाडगेबाबा का अनुकरण करना चाहिए जो हाथमे खराटा लिए सफाई का बीड़ा उठाया
उने असली प्रोभोदन किया समाज को स्वास्थ, शिक्षा ,अंधश्रधा , निवास,अनावश्यक खर्च
इस बारेमे उजागर किया खान पान बकरे का बलि जो किसी का बच्चा है उसे अपने बच्चे के लिए बलि दिया जाता है  इसके लिए जन जागृति की ,सत्यनारायण महापूजा महत्व हींन कैसी है इसके लिए भी उजागर किया
आज भी इसमें बदलाव नही ला पाये ,ये करना जरूरी है सोया हुवा अपना अडानी समाज,अज्ञान, नशे के अधीन हो गया है उनके नजदीक जा के परभोदन करना आवश्यक है  निचला स्तर पे काम करना होगा हर संघटन ने ये विंग बनाना चाहिए जो हर टांडे  में जाके परिस्थिति का अवलोकन करके कार्यक्रम का आयोजन होना जरूरी है शिर्फ़ मीटिंग या सभा का आयोजनसे हमे कुछ हासिल नहीं होता ,आज किसीको सुननेमें अभिरुचि नही है इसका अनुभव आप बुद्धिजीवी को आया है ये बात से इनकार नही कर सकते।
आज हमे काम कृति में करने की आवश्यकता है
काम रूट लेवल पे किया जाय इसके बारेमे
चर्चा करना  अनिवार्य है
सांविधानिक लढाई रस्ते पर ही लड़नी है
उसी का प्रचार होना ही चाहिए
महिलाओका बहुत बड़ा प्रश्न है !
सोचिये हल कैसा निकाला जाए
सोचिये पहल कौन करेगा
सोचिये समाज को कैसा उजागर कर सकते है
सोचिये दायित्व क्या है कार्यकर्ता को कैसे   समजाए
सोचिये  प्राथमिकता किस समस्या को दिया जाय
सोचिये! सोचिये!!सोचिये!!!
———-सुखी चव्हाण,बदलापुर
           9930051865

– गोर कैलास डी राठोड
बंजारा आँनलाईन न्यूज पोर्टल,
www.banjaraone.com

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