दोस्तों कोई अगर समाज की एकता केलिए। अगर अपने समय में से थोडा समय निकालकर समाज के लिए कुछ करना चाहता है। तो उसे प्रोत्साहन देने की बजाय हम उनके ही पैर खिचते है। ऐसा क्यों?
दोस्तों…! क्या यह गलत बात नहीं है?
जिस दिन समाज के सारे भाईयों की सोच एक जैसी होगी ऊस दिन हमारे समाज के लिए एक नया सवेरा होगा। और उसी समय से समाज का नया अध्याय शुरू होगा। यही मुझे लगता है। क्योंकि दोस्तों में पिछले कुछ सालों से समाज केलिए मेरे खुद के काम में से समय निकाल कर गोर बंजारा संघर्ष समिती भारत के संयोजक मा.श्री रविराज भाऊ राठोड जी के साथ काम कर रहा हूं। तो मुझे अपने समाज के हर भाईयो से जुडो और जोडो अभियान के दौरान मिला हु। और हमारे सभी गोर भाईयो की सोच अलग अलग है।
क्यों?
दोस्तों हमे यह सोच बदलनी होगी। नही तो हमारी आनेवाली युवापिढी केलिए यही सोच रोना बन सकती हैं। दोस्तों मुझे भी पता और सभी को पता है। कि हम आज अगर समाज के लिए निस्वार्थ भावना से काम करेंगे तो हम हमारे ही जीवन में प्रगति कर रहे हैं। ऐसा ही होगा क्योंकि इन्सान कितना भी बडा क्यों न बन जाए। अगर समाज की एकता नही है। तो उसका कोई मुल्य नहीं होता।
दोस्तो जागो और जगावो समाज को आज आझादी को 65 साल हो चुके हैं। तो भी हम इस देश में आझाद नहीं है। इन सबका कारण कौन है? हम ही तो है। दोस्तों मेरे सभी भाईयो से मै निवेदन करता हूं। कि अपने समय में से थोडा सा समय निकालकर समाज में एकता लाने की कोशिश करे।
धन्यवाद…!
समाज हिंतचिंतक
गोर गजानन डी.राठोड
स्वयंसेवक
गोर बंजारा संघर्ष समिती भारत
संस्थापक
जय सेवालाल बंजारा सेवा संस्था ठाणे, रजि महाराष्ट्र राज्य