“जिंदगी मे हार ना मानो तुम”
हारने से क्यों डरते हो तुम
हार से हार मत मानो तुम,
यदि जीवन में कुछ करना है हासिल
तो हार को गले लगाओ तुम,
असफ़लता सफ़लता की सीढ़ी है
गिर कर संभलना ही तो ज़िन्दगी है,
आंसू तो केवल मज़बूरी हैं
आंसू कभी न बहाओ तुम,
हार का कारण पहचानो तुम
बहाने अधिक न बनाओ तुम,
किस्मत और समय को दे दोष
नकारात्मक विचार मत लाओ तुम,
हारना तो इक ठोकर है
ठोकर लग कर उठ जाओ तुम,
गलतियों से कुछ सीखो अपनी
पर गलती को मत दोहराओ तुम,
हार को जीत में बदलना हो
तो दृढ़ निश्चय दिखाओ तुम,
समुद्र की लहरों की तरह
इक नई तरंग जगाओ तुम,
मकड़ी भी अपना जाल बुने
पंछी घोंसला तिन तिन चुने,
तुम तो फिर इक चलता फिरता इंसान
हिम्मत थोड़ी जुटाओ तुम,
हारने से क्यों डरते हो तुम
हार को गले लगाओ तुम…
– गोर कैलास डी राठोड