जींद में पूर्व सैनिको ने जनरल सतवीर का पुतला फूंका और सम्पूर्ण तौर पर बहिष्कार किया

(श्री. सतिष एस राठोड) ✍

जींद :- शुक्रवार को भारतीय सेना के पूर्व सैनिको ने कैप्टन छेत्र सिंह यादव की अध्यक्षता में शहीद स्मारक ,जींद के सामने जवान जेसीओ रैंक के सैनिको ने मेजर जनरल सतबीर सिंह का जवानों की भावनाओं को भड़काकर राजनीतिक लाभ लेने के खिलाफ उनका पुतला फूंका और आगे से संपूर्ण तौर पर बहिष्कार करने का ऐलान किया।

इस समय बात करते हुए साबका सैनिक संघर्ष कमेटी हरियाणा के जनरल सेक्टरी कपिल फौजी सिलानी ने बताया की जींद प्रशासन और पुलिस ने पूर्व सैनिको को सम्मेलन नही करने दिया।पुलिस के रोकने के बावजूद भी जवानों ने मेजर जनरल सतवीर का पुतला फूंका।

मेजर जनरल सतवीर सिंह ने एक रैंक एक पेंशन में जवान जेसीओ रैंक के सैनिकों के साथ गद्दारी और धोखा दिया । जनरल ने जवानों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए 2013 में बीजेपी की रेवाड़ी रैली में भीड़ के रूप में इस्तेमाल किया लेकिन जब भाजपा ने उन्हें किसी स्टेट का गवर्नर या राज्य सभा का मेंबर नहीं बनाया तो आज दूसरी पार्टियों की गोद मे बैठ गया जिसका प्रचार करने के लिए 22 जनवरी 19 को गोहाना रोड पर सैनिक वाटिका में आए थे।जब जवानों को पता चला तो वहाँ हंगामा होगया । जनरल राजनीतिक पार्टियों को ये बताने की कोशिश कर रहे है कि जवान जेसीओ रैंक मेरे गुलाम हैं और मैं जवानों को जिस राजनीतिक दल को वोटिंग करने के लिए कहूंगा , जवान उसी राजनीतिक दल को वोट देंगे । इस तरह से जनरल सतबीर अपने राजनीतिक फायदे के लिए जवानों को बेचने की कोशिश कर रहा है लेकिन अब जवान रैंक के सैनिकों के सामने सतबीर का नकाब उतर चुका है और जवान इसके झांसे में नहीं आने वाले । जनरल सतबीर कभी जवानों के हक़ की बात नहीं करता वह बात करता है तो सिर्फ और सिर्फ सेना के अधिकारियों की । जनरल सतबीर खुद आज तक कभी एक दिन के लिए भी जंतर मंतर पर भूख हड़ताल पर नही बैठा बल्कि जवानों को भूख हड़ताल पर बैठाया और राजनीतिक पार्टियों से राजनीतिक फायदा भी उठाया।

कैप्टन राजेन्द्र सुहाग ने बताया हम सैनिक जींद जिला के फौजी भाईयो से अपील करते है कि जींद में हो रहे उपचुनाव में किसी सेना के जनरल,बिरगेडियर,कर्नल के कहने से किसी पार्टी विशेष को वोट न करे।

फौजी भाईयो वोट देने का निर्णय आपके स्वयं का है,आप किसी भी पार्टी को वोट दे लेकिन किसी कर्नल जनरल के कहने पर किसी भी व्यक्ति को वोट न करे।

किसी भी पार्टी में कोई सेना अधिकारी अपनी पार्टी के लिए वोट देने के लिए कह रहा है तो जनरल सतवीर सिंह की तरह उन सब कर्नल जनरलों का बहिष्कार करे।
सूबेदार जयबीर सिंह ने कहा कि देश आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन आज भी सेना के आफिसर्स सेना के जवानों से जूते पॉलिश करवाते हैं और अपने घरों में और अपने मां बाप के पास गांव या शहर में जवानों को गुलाम बनाकर बर्तन साफ , कपड़े धुलवाने जैसे निम्न दर्जे के काम करवाते हैं । जिससे जवानों का मनोबल गिर रहा है और वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं । इसके लिए आजाद भारत की सभी सरकारे कसूरवार हैं ही ,बल्कि उससे ज्यादा सैनिकों के नाम से बनी संस्थाए, इंडियन एक्स सर्विसमैन, इंडियन मूवमेंट, और हरियाणा एक्स सर्विसमैन लीग ज्यादा जिम्मेदार है । जिनके अध्यक्षों ने कभी इसका विरोध नहीं किया और जवानों की मांग नहीं उठाई। बल्कि इनका एक ही काम है जवानों की संख्या दिखाकर राज्यपाल बन कर निकल जाना या राजनेतिक हित साधना। आज हरियाणा एक्स सर्विसमैन लीग के अंदर 50 करोड़ की राशि के लगभग भ्रष्टाचार और घोटाला है पर हरियाणा सरकार उस भ्रष्टाचार की जांच को रोके हुए हैं और अपने चहेतों को बचा रही है । आज तक कभी इन संस्थाओं के अध्यक्षों ने आजाद भारत की सबसे क्रूर प्रथा अदर्ली सहायक प्रथा के खिलाफ आवाज नही उठाई। जवान जे सी ओ रैंक बहिष्कार करता है उन सभी संस्थाओं या राजनीतिक दलों का जिसमे सैनिक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष पूर्व सेना अधिकारी बनाया हुआ है , जिसमें बीजेपी,कांग्रेस,इनोला पार्टी भी है और ऐसे मंच का भी बहिष्कार करते है जिस मंच पर राजनीतिक पार्टी के साथ पूर्व सेना अधिकारी बैठते हैं।

हवलदार राजपाल राठी ने बताया मेजर जनरल सतवीर अपनी राजनीतिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए जवानों को सीढ़ी बनाकर सांसद या राज्यपाल बनने की है। एक तरह से अपने लिए राजनीतिक रोटियां सेक रहा है 2013 में प्रधानमंत्री के दावेदार श्री नरेंद्र मोदी की रेवाड़ी रैली करवाई गई और जवानों की संख्या दिखाकर एक रैंक एक पेंशन सिर्फ सेना अधिकारियों के लिए लागू करवा लिया । देश की जनता तो यह सोच कर खुश है कि सरकार ने एक रैंक एक पेंशन दे दी पर असलियत कुछ और ही है, एक रैंक एक पेंशन में सरकार ने सेना अधिकारियों की पेंशन 30 हजार से 70 हजार प्रति महीना पेंशन बढ़ाई और जवानों की पेंशन में ज्यादा से ज्यादा 2 हजार की मामूली बढ़ोतरी की गई । केंद्र सरकार जिसको एक रैंक एक पेंशन कहती है असल में वह आफिसर रैंक आफिसर पेंशन है ।

1973 से पहले एक रैंक एक पेंसन सिर्फ जवान जेसीओ रेंक के सैनिको को दी जाती थी।1973 के बाद यह बन्द कर दी गई।जब यह मांग दुबारा उठाई गई तो सेना के जनरलों ने यह कहते हुए उठाई गई कि हमारे सैनिको को कम सर्विस में पेंसन भेज दिया जाता है।

सेना के जवानों को 15 से 17 साल की नौकरी के बाद जबरदस्ती पेंशन भेज दिया जाता है । जवान मात्र 32 से 38 साल की उम्र में पेंशन आ जाता हैं जबकि उस समय जवान के कंधों पर घर की जिम्मेदारियां सबसे ज्यादा होती है लेकिन सेना का आफिसर कम से कम 58 साल से 60 साल की उम्र में पेंशन आते हैं , इस लिए सेना के आफिसर का एक रैंक एक पेंशन पर किसी भी तरह का हक़ नहीं बनता है । अगर केंद्र सरकार 60 साल की उम्र में पेंशन आने वाले सेना के आफिसर्स को एक रैंक एक पेंशन दे सकती है तो 60 साल की उम्र तक सर्विस करने वाले पैरा मिलिट्री फोर्स को भी एक रैंक एक पेंशन दी जानी चाहिए , यहां पर हैरान करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार और ग्रह मंत्रालय पैरा मिलिट्री फोर्स की एक रैंक एक पेंशन की मांग को 60 साल की उम्र तक सर्विस होने के कारण खारिज कर रहा है और दूसरी तरफ 60 साल की उम्र तक सर्विस करने वाले सेना के आफिसर्स को एक रैंक एक पेंशन में भारी लाभ दिया जा रहा है ।
सतबीर ने सरकार को हाईजैक किया और जवानों की पेंशन को सेना के अधिकारी वर्ग के लिए ले गया। एक रैंक एक पेंशन सिर्फ जवानों के लिए ही बनी थी ।
एक रैंक एक पेंसन जो कि मूलतः जवान जेसीओ के लिए था।इस के तहत अधिकारियो के पेंशन में 40-70 हजार तक बढ़ोतरी की गई जबकि जवान जेसीओ को मामूली 250 सौ से से 3200 सौ रुपए तक बड़ाई गई।
ले.कर्नल का पेंशन 2006 को 14400/- था जबकि आज 01 लाख 7 हजार से ऊपर हो गया है |
इसी तरह अधिकारी की विधवा की पेंशन को 5880 /- थी आज वह 72 हजार से ऊपर हो गई | जबकि जवान की विधवा को 2006 में 3500 सौ मिलता था और आज मात्र 9 हजार मिल रहा है |
इसी तरह डिसेबिलिटी पेंशन साल 2006 में ऑफिसर की 5880/- थी और जवान की 3510 / थी।जबकि आज परसेंटेज आधारित कर ऑफिसर की 2 लाख 72 हजार के करीब पहुँच गई है।जबकि जवान को 100%अपाहिज होने पर मात्र 16 हजार डिस्बिल्टी पेंसन मिल रही है।
डी जी आर( सैनिक पुनर्वास महानिदेशालय) की सारी क्रीम स्कीम जैसे कि कोको पेट्रोल पंप, सिक्यूरिटी एजेंसी एवं कोयला लोडिंग एवं ट्रांसपोर्टिंग कम्पनी का व्यपार सेना अधिकारियोंने अपने लिए रिज़र्व करा कर कब्जा कर लिया है और जवानों /जेसीओ के लिए सब्जी और दूध निकालने की भेस की दुकान छोड़ दि गई है।
केंद्रीय सैनिक बोर्ड से लेकर जिला सैनिक बोर्ड कैंटीन, आर्मी स्कूल एवं इसीएचएस में ऑफिसर इन्चार्जे का पद अपने लिए रिज़र्व इन अधिकारियो ने करा रखा है | ईसीएचएस और सी एस डी कैंटीन सही सभी जगहों पर जवानों के साथ भेद -भाव किया जाता है । इसके लिए जिम्मेदार है तो सेना के अधिकारी और उनके चमचे है और चमचे सभी जवान रैंक से है।जिनको परमात्मा सध बुद्धि दे।
इस अवसर पर प्रवीण यादव,सूबेदार चन्द्र मोहन,सूबेदार जगदीश,सार्जेंट गोपाल सिंह,हवलदार प्रदीप लोहान,हवलदार बाबा सिंह,हवलदार पवन सिंह,कैप्टन राजेन्द्र सुहाग,हवलदार जगदीश,, हवलदार बलवंत,हवलदार पृथ्वी, राजपाल फौजी, सूबेदार नरेंद्र,सूबेदार रामफूल ,सरपंच भूप सिंह,नायक राजे राम,हवलदार धर्मपाल ,कर्ण सिंह फोजी,हवलदार रमेश,हवलदार राय सिंह,सूबेदार जगदीश खोलड़ा,सूबेदार जयबीर,कैप्टन रामकिशन,कैप्टन खजान सिंह,सूबेदार मेजर अनूप मलिक,आदि मौजूद रहे।