मुंबई प्रतिनीधी…रविराज एस. पवार
आलोचना
दि.६ ,७ फरवरी २०१६ काे वासिम मे हाेने वाला गाेर बंजारा साहित्य सम्मेलन नहीं हो सकता?
वो बंजारा, बुद्ध,आम्बेडकर साहित्य सम्मेलन हो सकता है क्योंकि प्रा.ग.ह.राठाेड साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष हैं उसने हमेशा ब्ंजारा समाज काे दुसरे विचार धारा के साथ जोडने का प्रयास किया है. बंजारा समाज की संस्कृति के बारे में जो कुछ लिखा है वह मिश्रित संस्कृति हैं। दूसरे संस्कृति को तोड,माेड कर बंजारा समाज संस्कृति के साथ जोडा है.
उसके किताब में बंजारा समाज का संबंध बाैध के साथ है और संतसेवालाल महाराज काे बुद्ध के विचार धारा पर चलने वाला संत कहा है। प्रा.ग.ह.राठाेड का चिंतन बुद्धीष्ट रहने से वो हमेशा समाज को व्यक्तिगत चिंतन के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। बंजारा समाज संस्कृति के बारे में उसने कभी चिंतन किया नहीं उनका साहित्य बाबासाहेब आम्बेडकर और भगवान बुद्ध पर आधारित हैं।
बंजारा समाज का सिद्धांत किसी धर्म पर निर्भर नहीं वो उसकी संस्कृति का आचरण है….
बंजारा समाज मे बहुत साहित्यकार हैं उन्होंने बंजारा समाज के बारे में कविताएँ,नाटक,लेख, बंजारा संस्कृति पर किताब लिखा है,बंजारा संस्कृति का चिंकिया है समाज के बारे में सबकुछ लिखा है वो बंजारा साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में रहना चाहिए.
(Ashok Pawar 9850441005) —बंजारा समाज वैचारिक,विकास समिति नागपुर