भाईंदर। भगवान गणेश की
प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए इस बार
मीरा-भाईंदर महानगरपालिका कृत्रिम
तालाब नहीं बनाएगी। एमबीएमसी के इस
निर्णय से पर्यावरण प्रेमियों में गुस्सा है।
जल प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से गणेश
विसर्जन के लिए मीरा-भाईंदर
महानगरपालिकाने दो साल पहले कृत्रिम
तालाब बनाना शुरू किया था। पहले साल
एक ही कृत्रिम तालाब बनाया गया था।
कृत्रिम तालाब में मूर्तियों को विसर्जित करने
को लेकर गणेश भक्तों को जागरूक नहीं
किया गया। लिहाजा कृत्रिम तालाब में महज
पांच मूर्तियां ही विसर्जित हो सकी। प्रतिदास
नहीं मिलने के बाबजूद भी दूसरे साल
अलग-अलग ठिकानों पर पांच कृत्रिम
तालाब बनाया गया। इस बार गणेश भक्तों
को जागरूक भी किया गया। परिणामतः
कृत्रिम तालाब को अच्छा प्रतिसाद मिला
और 642 घरेलू गणपति उसमें विसर्जित
की गई। फिर भी मनपा आयुक्त सुभाष लाखे
की नजर में कृत्रिम तालाब को मिला
प्रतिसाद अच्छा नहीं है। इस के चलते इस
बार कृत्रिम तालाब नहीं बनाने का निश्चय
किया गया है। कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष
नवनाथ पवार का कहना है कि प्रतिसाद
नहीं मिला, यह कहना ठीक नहीं होगा। हां
यह बात जरूर है कि उसकी खुदाई,
सौंदर्यीकरण करने और फिर पाटने में करीब
आधा करोड़ रुपए खर्च हो जाता है। फिर भी
जल प्रदूषण रोकने के लिए कृत्रिम तालाब बनाना जरूरी है।