पसीना आना शरीर की स्वाभाविक क्रिया है | यह शरीर को उसके सामान्य तापमान को बनाये रखने में मदद करता है | हमारे शरीर का सामान्य तापमान ३७ डिग्री सेन्टीग्रेड होता है और सारे कार्यों को संपादित करने हेतु शरीर को यह तापमान बना कर रखने की आवश्यकता होती है | किसी भी कारण से हमारे शरीर के गर्म होने से उसमे मौजूद खून भी ऊष्मा पाकर गर्म हो जाता है और जब यह गर्म खून दिमाग के हाइपोथैलेमस भाग में पहुंचता है तो उसे उत्तेजित कर देता है | इसके फलस्वरूप परानुकम्पी तंत्रिकाओं के माध्यम से शरीर के ताप को सामान्य और काबू में रखने वाली क्रियाएँ जैसे पसीने का स्वेदग्रंथियों में बनना शुरू हो जाता है,जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में उत्सर्जित होने लगता है | पसीना स्वेद ग्रंथियों में बनता है,जो हमारे शरीर की त्वचा के नीचे खासतौर पर हाथों की हथेलियों,पैरों के तलवों और सिर की खाल के नीचे होती हैं | ज्यादा पसीना बहने से शरीर में पानी और लवणों की कमी हो जाती है जिससे सिर में दर्द,नींद और कभी-कभी उल्टी भी आने लगती है | गर्म वातावरण में ज्यादा देर तक खाली पेट काम नहीं करना चाहिए|
१- अधिक पसीना आने पर कभी-कभी रोगी का शरीर ठंडा पड़ने लगता है और उसकी नाड़ी तथा सांस की रफ़्तार बहुत तेज़ हो जाती है | ऐसे में रोगी को टमाटर के रस में नमक और पानी मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहने से लाभ होता है |
२- हरड़ को बारीक पीस लें | जहाँ पसीना अधिक आता हो , इसको मल लें और दस मिनट बाद नहा लें | इससे ज़्यादा पसीना आना बंद हो जाता है |
३- कुछ लोगों को पैरों में अधिक पसीना आता है | ऐसे में पहले पैरों को गर्म पानी में रख लें,फिर ठंडे पानी में रखें और दोनों पैरों को आपस में रगड़ लें | फिर पैरों को बाहर निकालकर किसी कपडे से पौंछ लें | एक हफ्ते तक यह क्रिया लगातार करने से बहुत लाभ होता है |
४- यदि पसीने में बदबू आती हो तो भोजन में नमक का सेवन कम करना चाहिए |
५- गर्मियों में पसीने के साथ- साथ शरीर में घमौरी भी निकल आती हैं | इसके लिए नहाते समय एक बाल्टी पानी में गुलाबजल की २० बूँदें डालकर स्नान करें | रात को ४ चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से भी लाभ होता है