“बंजारा संस्कृती लेघीं सन होळी”

“बंजारा संस्कृती होळी लेंघी”

पेली समरंण करलो गणपतरो, पेली समरंण…
पेली तो समरंण,धरती मातान,पेली तो समरंण,धरती मातान….
उतो नवखंड बोजा वटाई मातारे,पेली समरण,पेली समरण…
दुसरो समरण माता पितान र,दुसरो समरण माता पीतानर….
ओतो दूनीया वताय छ,आपणेन रे, पेली समरण करलो गणपत रो….
तिसरो समरण चांदा सुर्यान र, तिसरो समरण चांदा सुर्यान र….
ओ तो वजाळो दीने चारी खंडेनर, पेली समरण करलो गणपत रो…
चवतो समरण राम भाईन र, चवतो समरण,राम भाईनर…
उतो भमीयान मारो रातर जान र, पेली समरण करलो गणपत रो..
पातवी तो समरण राम भाईन रे,उतो वनवास भोगो वनेम जान रे..पेली समरण करलो गणपत रो…..
सावी तो समरण सीता मातान, सावी तो समरण सीता मातान र…
उतो रावणेरो गरव हाराई माता रे, पेली समरण, पेली समरण करलो गणपत रो…

बंजारा समाजेम होळी ये सनेन खुप मजेती बंजारा समाज एक मिना पहिलेती मनावच..समाजेर सारी संस्कृती ये सनेम दिकावच..
गोर बंजारा समाजेरो साहित्यकार
“लेघीं नायक पुस्तकेर लेखक”
श्री नथ्थुजी गोपा चव्हाण
सावरगांव बंगला ता.पुसद जि.यलतमाळ.

~गोर कैलास डी.राठोड
“सामाजिक कार्यकर्ता”

image

Posted from WordPress for Android