बंजारा हास्य कविता,दादा दादीरो कडापो.

—– !!”दादा-दादीरो कडापो”!!—-
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दादा केरो दादीनं तू,
भोकनी वेगीं काई?
छच्यापर लडरे तोन,
दकायेनी काई?——-!!१!!

दादी केरी जायेदं,
हाल ओ नादान छ!
आकल आयेलगस घर,
रण मैदान छ——–!!२!!

बुडेभस वेगे तरी,
आकल कोनी आयी!
कू करन विय गोर,
समाजेरो भाई———!!३!!

शाळा धड सिकेनी,
घर काई टकेनी!
नकामहादो करेवाळेर,
गाडी आंग धकेनी—–!!४!!

काम धंदो करेनी,
नकामेज फरचं!
आत ओत बेसतांणी,
निंदा बदी करचं——!!५!!

मुजोर तो आतरा छ,
केरीज सामळेनी!
कळेनी वळेंनी येन्दुती,
ऊद बी बळेंनी———!!६!!

खजायेन नख छेई,
आकलेर पतो छेई!
केन काई बोलेरो,
नातो-तगातो छेई—–!!७!!

खाणो पिणो रेणो,
सेज तो बदलगो!
डीजेपर नाच,गाणो,
तोल से वतलगो——!!८!!

बोटी-दारूसारु लोक,
कती बी वके लाग!
मान मरयादो छेनी,
काई बी बके लाग—–!!९!!

एंक्यारो छोरा तो
घणो गाजरो छ!
गाम तांडेमायी ओरो,
डंका वाजरो छ——!!१०!!

समजायेन जावं तो,
वल्टोज बोलचं!
परभातीती सांजेताणू,
पिलेन डोलचं——–!!११!!

आजकाल आपसेम,
लडे लाग लोक!
डायसाणें सरतान,
कचं बिनडोक——-!!१२!!

गोर छा कचं पण,
गोरपणो छेई!
कत गमागो मारे,
गोरुरो लोही———!!१३!!

काई केन उठे बापू,
मार गोरमाटी!
आपणेज हातेती,
वखडारे चोटी.——-!!१४!!

कू करन विय आंग,
काळमान मोटो!
केन दोस दिया माल,
आपणोज खोटो—–!!१५!!

जणेवाळ जाणिय,
वांज काई जाणिय?
जेरे कन स्वाभिमान,
ऊज गोर बणीय—–!!१६!!

आसो कडापो किदे,
मार दादा-दादी!
समाजानं केरे,
बंद करो वादावादी!!
बंद करो वादावादी—!!१७!!

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©® —————– 【कवी】——
सुरेश मंगुजी राठोड
【काटोल-नागपूर】
मूळ गाम: सिंगद,ता.दिग्रस, जि. यवतमाळ. Phone : 7350739565

प्रमुख प्रतिनिधि : रविराज एस. पवार 8976305533