जय सेवालाल.
ऐक बार ऐक माटी कोबलेन को
“तु काळ ना रेती तो
कतरा आचो रेतो”
सागरेन को:-
“तारो पाणी खारो न रेतो तो
कतरा आचो रेतो”
गुलाबेर फुलेन को:-
“तार मायी काटा ना रेते तो
कतरा आचो रेतो”
जना तीनी ऐक सातेम वो माटीन के:-
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“हे माटी अगर तार मायी
दुसरेर खोड(कमिया) काडेर आदत ना रेती
तो तु कतरा आचो रेतो”
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भियावो दुसरेर पग मत खेचो
पहिला स्वतार मायी जो कमी छ
उ कायी छ धुनडन लेनु घन गरजेर छ.!
धन्यावाद…..
गोर. रविराज शुभाष पवार
गोर बंजारा संघर्ष समिति (भारत)
स्वयंसेवक
08976305533