महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में वसंतराव नाईक (Vasantrao Naik) वह नाम है, जिसका रिकॉर्ड आज तक किसी ने नहीं तोड़ा है. वहीं उनके भतीजे सुधाकरराव नाईक (Sudhakarrao Naik) भी 25 जून 1991 से 22 फरवरी 1993 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. सुधाकरराव नाईक के सीएम रहते ही बंबई ब्लास्ट (Mumbai Blast) की घटना हुई थी.
नई दिल्ली. पिछले तीन-चार दिनों से महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) और भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) की खूब चर्चा हो रही है. बीते शनिवार से ही महाराष्ट्र की राजनीति में इन्हीं दो नामों की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), शिवसेना (Shiv Sena) और कांग्रेस (Congress) की खिचड़ी पकती रह गई और भतीजे अजित पवार ने चाचा को गच्चा देकर बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर सरकार बना ली. देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) सीएम बन गए तो अजित पवार डिप्टी सीएम. महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे की जोड़ी हमेशा से चर्चा में रही है. एक वो भी दौर था जब चाचा बाल ठाकरे ने भतीजे राज ठाकरे को दरकिनार करते हुए बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी की कमान सौंप दी थी तो एक वो भी दौर था जब एक चाचा-भतीजे की जोड़ी ने महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी तक अपनी धाक जमाई. आज आपको बता रहे हैं, चाचा वसंतराव नाईक और भतीजे सुधाकर राव नाईक के बारे में, जिसका रिकॉर्ड आज तक किसी चाचा-भतीजे की जोड़ी ने नहीं तोड़ा है.
महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे की जोड़ी.
महाराष्ट्र की राजनीति में वसंतराव फुल सिंग नाईक वह नाम है, जिसका रिकॉर्ड आज तक किसी ने नहीं तोड़ा है. एक ऐसा नेता जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में 1963 से 1975 तक बतौर मुख्यमंत्री के रूप में काम किया. वसंतराव नाईक महाराष्ट्र के सीएम पद पर सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री रहे हैं. नाईक का रिकॉर्ड आज भी बरकरार है. इसके साथ ही नाईक पूरे पांच साल पूरे करने के बाद फिर से सत्ता में वापसी करने वाले भी अब तक के इकलौते सीएम रहे हैं. अगर मौजूदा सीएम देवेंद्र फडणवीस के कुछ घंटों का कार्यकाल छोड़ दें तो. वसंतराव नाईक को महाराष्ट्र में हरित क्रांति का जनक भी माना जाता है.
महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार की खूब चर्चा हो रही है.
वसंतराव नाईक का 18 अगस्त 1979 को सिंगापुर में निधन हो गया. उनके निधन के बाद उनके भतीजे सुधाकरराव नाईक भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. सुधाकरराव नाईक 25 जून 1991 से 22 फरवरी 1993 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. महाराष्ट्र में मौजूदा घटनाक्रम के गवाह और एक अभिन्न पात्र शरद पवार ही सुधाकरराव नाईक से पहले महाराष्ट्र के सीएम थे और नाईक के हटने के बाद भी दोबारा से सीएम बने. पवार नाईक के सीएम बनने के बाद केंद्र में रक्षा मंत्री बन गए थे.
वसंतराव नाईक और सुधाकरराव नाईक सीएम बने.
लेकिन, 1992-93 के बम्बई दंगों के बाद उस समय के मौजूदा प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने शरद पवार को फिर से महाराष्ट्र का सीएम बनाया था. बम्बई दंगों को संभालने में असफल होने के कारण ही नाईक को उनके पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में सुधाकरराव नाईक को 30 जुलाई 1994 को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था. नाईक ने 17 सितंबर 1995 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में सेवा की.
महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे की जोड़ी हमेशा से चर्चा में रही है.
सुधाकरराव नाईक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सरपंच के रूप में की. सुधाकरराव नाईक 1978, 1980, 1985, 1990 और 1999 के चुनावों में 5 बार पुसाद विधानसभा क्षेत्र से चुने गए. उनका कार्यकाल बंबई दंगों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए याद किया जाता है. न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा आयोग ने सुधाकरराव नाईक सरकार को दोषी ठहराया था. आयोग ने माना था कि सुधाकरराव नाईक तुरंत और प्रभावी रूप से कार्य करने और स्पष्ट निर्देश देने में विफल रहे.
हालांकि, मुख्यमंत्री के रूप में नाईक का कार्यकाल मुंबई अंडरवर्ल्ड को नष्ट करने और कानून को लागू कराने में उनके प्रयास के लिए भी जाना जाएगा. उन्हीं के कार्यकाल में उल्हासनगर के विधायक और भाई ठाकुर (गैंगस्टर-विधायक हितेंद्र ठाकुर के बड़े भाई) को गिरफ्तार किया गया था. राजनीतिक रूप से उनके शरद पवार के साथ मतभेद थे और इसके बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. सुधाकरराव नाईक को महाराष्ट्र में उनके जल संरक्षण में काम के लिए भी याद किया जाता है.
सौजन्य – गजानन डी. राठोड