मारो टांडो…..
दुनिया रे ऐ नक्से में कत खो गो छे मारो टांडो।
कबेइ याद करूँ छूं ओ बचपने रे दिन,
दादा रे किस्सा,
ओरे कन्धा पे बेठन टांडे में घुम्णों,
आफ़ेर संगेरे बाडकुर संग खेलणों।
बेचैन कर देमे छें आफ़ुरे टांडे री यादें,
खेतू री हरियाली,
भुंडा रे पेडेरे आम
सतामे छें,
रुवावें छें,
मने मारे टांडे री यादें।
मारे दादा ने वकील कहे वाडे सब ग्वार
भाई आज ओ री वजह से मन भी छोटो
वकील कहमे छें,
उनूरो आदर्श और प्रेमें रो
गौरव छे मारो टांडो…..