मुंबई के कुलाबा में मनाई जाति है बंजारा समाज की विशेष दीपावली
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुलाबा क्षेत्र रह रहे बंजारा समाज की दीवाली नृत्य स्पर्धा का आयोजन किया गया. बंजारा समाज के लोग दिवाली एक विशेष तरह से मनाता रहा है. गाँवो में कुवारी लडकिया इकठठा होकर लक्ष्मी पुजन के दिन तांडे के प्रत्येक घर में जाकर हाथो में दिया (दीपक जलाकर) मेरा (एक तरह से घर में सुख-शांति और समृध्धि के लिए की जानेवाली आरती ) करती है, इस तरह पुरे तांडे (गांव) के घर घर जाकर मेरा किया जाता है. रात को मेरा समाप्त होने के बाद दीपक नायक के घर में जाकर रख देते है.
सुबह लड़किया सज-धज एंव संवरकर दिन भर गांव से दुर नाचते-झूमते गाते हुए काशी (एक प्रकार का पौधा) तोड़ने निकल पड़ती है.दिनभर नाचते –गाते हुए शाम को काशी तोड़कर तांडे में आ जाती है, काशी लाने के बाद प्रत्येक घर में जाकर, गोबर लेकर घर के सामने गोबर पर काशी रखकर उनकी घर की शुभकामनाओ के गीत गाते हुए गोधन पूजा करती है.
इस तरह बंजारा समाज का अपना एक विशेष संस्कृति हमें देखने को मिलती है. मुंबई कुलाबा क्षेत्र के कफ परेड में करीब जनसंख्या १०,००० के आस पाश लोग रहते है.करीब ३५ साले से यहाँ के लोग दिवाली ये विशेष तरह से मनाते है, यहाँ करीब हर तांडे की लडकिया नाचते गाते हुए अपना ग्रुप बनाकर घर से बहार निकलती है. करीबन ३२ तांडे का ग्रुप होगा. इन लडकिया एंव तांडे के ग्रुप को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्येक साल सेवालाल फाउन्ड़ेसन व्यासपीठ लगाकर नृत्य स्पर्धा, वेशभूषा स्पर्धा का आयोजन रखा जाता है और प्रमुख अतिथियो द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाता है.
लेखक: गोविन्द राठोड़
स्वंयसेवक
सेवालाल फाउन्डेसन(मुंबई)
गोर बंजारा संघर्ष समिति (भारत)