दोस्तों हम सब एक है।
और एक दिन जरूरत पढेगी तो सभी को एक साथ ही आना है।
यह बातों को भुलना नही है हमें।
“मै” और “हम” मे तो सिर्फ़ दो अक्षरो का फर्क है।लेकिन इनका अर्थ बहूत अलग है।और उनमें बहूत ज्यादा अंतर भी है।”मै”मे एक से ज्यादा कुछ भी नही और “हम” मे अनेक, अनंत है।और हम जो भी समितियाँ, संस्थाएँ, संघटनाऐ, सेनाओं के माध्यम से आज सभी आपने आपने इलाकों मे समाज को जागृत कर रहे है।यही हमें करते रहना है।हमें उम्मीद है।की जल्द हि हमारी मंजिल हमारे पास होगी।
जय सेवालाल
गोर गजानन डी.राठोड
स्वयंसेवक
जी.बी.एस.एस.भारत,
9619401377