“वक्त के साथ साथ परिस्थितियाा भी बदल रही हैं”

प्यारे भाई और बहनों, वक्त के साथ साथ परिस्थितियां भी बदलती रहती हैं, ठिक वैसे ही हमारे समाज में काफी बदलाव आया है यह हम पुरें भारत में देखने मिल रहा है. सब के मन में एक ही तमन्ना है कि, समाज संघटित बनें और समाज की तरक्की कैसे होगी. बस कल के जिंतुर -परभनी का मुक मोर्चा बिननेता का सफल हुआ इसका नतीजा समाज के बिकेहुए नेताओं के बुरे अनुभव के कारण ही समाज एक नहीं हो पा रहा है. बिननेता का समाज की प्रगति भी अनुचित है पर नेता वह होता है जो पहले समाज को बादमे पक्ष को महत्व दे, बिकाऊ नेतें ही समाज का विश्वास को बेच दिया है. अगर समाज के हित,न्याय,संरक्षण,एकता चाहते हैं तो बिन नेता के साथ आना ही समाजहित में हो सकता है. लिखे पढ़े, होशियार ,समझदार लोगों की नियुक्ति करके समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें आगे बढाये ताकि वह बिकाऊ नहीं बल्कि खरीदारी करने वाले समाजसेवी प्रतिनिधि के रुप में हमेशा तत्पर रहे.नवयुवकों को आगे लाना होगा और आना होगा ताकि संधिसाधू,भोंदू,लबाड निश्कर्म नेताओं की दुकादारी बंद हो और समाज का खोयाहुवा विश्वास प्रस्थापित हो. हमें संघटन/राजकीय पार्टी के माध्यम से नहीं बल्कि समाज”बंधुत्व” के नते जुडना होगा ” बिल्डअप द रिलेशनशिप ” हमें भाईचारे का प्रचार/प्रसार एवम् आत्मसाद करनेकी सख्त जरूरत है. तभी हम समाज में एक नई उम्मीद को जनम दे सकते हैं. अन्यथा”चलो दिल्ली” चलो मुंबई” यह काफी सालों से सुनहि रहे हैं. कबतक सुनते रहेंगे, आज हमारे समाज पर विभिन्न प्रकार के अन्याय अत्याचार हो रहे हैं. कहनेको कहते हैं”टायगर” वाघ” भेडिया, बंजाराचा नादखुळा, एक गोर वोम लाखेर जोर, शरम आतीं हैं, नेक बनें ! एक बनों !  समाज के लिए एक भक्त बनो.

~ मा.संतोष चव्हाण औरंगाबाद महाराष्ट्र

महा-सचिव राष्ट्रीय बंजारा मिशन भारत,

गोर कैलास डी राठोड

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