जय सेवालाल
भियावो वाया म जो “अंधर”रेम वेतडु-नलवेरी जो सात फेरा फरच.
वो सात फेरार र्अथ असे प्रकारेर वीये कन मन हनु लागच.
एक फेरा फरल लाज बेटी पंचुरीे,
दि वेडा फरल लाज बेटी माँ-बापेरीे,
तिन वेडा फरल लाज बेटी भेन माँयेरीे,
चार वेडा फरल लाज नणद-भोजायीरी,
पांच फेरा फरल बेटी जोरू तमारी,
छो वेडा फरल लाज तमारी,
सात वेडा फरल येतडु बेटीरोये,
जर भाईवो ए लेखेम भुल-चुक वेगीवियेतो तमारो नानक्या भाई समजताणी माफ करदीजो
गोर. रविराज एस.पवार
शामपुरहळ्ळि तांडा, वाडी, कर्नाटक
भारत बंजारा भक्त़ि सेवामाळा समिती
कलर्बुगी विभाग. कोष्याध्क्ष/खजांची.
श्री सेवालाल ग्रंथालया
संस्थापक
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