संघटना वेगी बादभरी – भास्कर राठोड़ (भासू)

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*संघटना*
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*(बादभरी)*

संघटना वेगी बकळ,
जसो कूंढो, सोटार, वूखळ..!
बानो छूटो, वाणी भूलागी,
पडो कडापो, धाटी छूटगी..!!१!!

*गोरूर परमाण छ पेना*
*छ बादभरी संघटना…!*

भगत बणगे, बणगे भोपा,
जाग-जाग लगारे काळो..!
पेट भरेरो साधन मळगो,
भोळे गोरून कोनी कळो..!!२!!

*गोरूनं मानपान मळीय कना*
*छ बादभरी संघटना…!*

भास्कर राठोड़ (भासू)

नाम याडीरो बापेर पतो छेयी,
देकादेक सीके लीदे जोग..!
छोड दीने धपकार,
रोज (दाडी) लगारे भोग…!!३!!

*गोर लीदो कोनी केरी बेना*
*छ बादभरी संघटना…!*

बोलेनी पेनार वाणी,
छूटती जारी धाटी..!
कासी कररे, तीरत फररे वारी,
संटनारी टूटी छ कणदोरी..!!४!!

*हारदं रकाढो चारी कोनी*
*छ बादभरी संघटना…!*

कारभारी,नसाबी,हासाबी,
टांढेम छेनी कोयी वचारी..!
संघटनारे अध्यक्ष बणगे,
नायेकेर मोल घटरी…!!५!!

*टांढे मायीरी पाटी वखढीया जना*
*छ बादभरी संघटना…!*

येकीरे नामेप घालरे रंघेम भंघ,
येक सेवा संघ तो दूसर आसा संघ…!
संघटना परेर यी वघम,
नेता जेताम रेगो कोनी बदम..!!६!!

*आबं आपण केन केन माना*
*छ बादभरी संघटना…!*

©
*भास्कर राठोड (भासू)*
*ठाणे /मुंबई*