सब ठाट पड़ा रहेगा,जब लाद चलेगा बंजारा।
छोड़ पसारा दुनियाका,वह लाद चला है बंजारा।
तू है लख्खी बंजारा ,तांडा तेरा भारी है।
गाफिल दिल में मत रहना तू,बहुत बड़ा बेपारी है।
नमक मिश्री कंद गरी,फौजी सामान रखता है।
समशेर बहादुर बंजाराना,गनीम तुझे घबराता है।
बेपार तेरा सच्च्या है,और खुदा का तू प्यारा।
लाख अशर्फी लख्खी तोले,कौन करेगा व्यवहरा।
-नजीर अकबराबादी
स्वयंसेवक: वसंत बी.जाधव ता.मुखेड जी.नांदेड