“सोच”

दोस्तों और भाईयो हम कितने ही बढ़े विध्वान क्यूँ ना हो जाएँ फिर भी हमारी पहचान सिर्फ़ हमारे समाज से ही होती है।
हमें अगर दुनिया मे बदलाव लाना है तो हमे पहले आपने आप मे बदलाव लाना होगा, हमारे परिवार मे बदलाव लाना होगा,हमारे समाज मे बदलाव लाना होगा।
तब जाके हम किसी मे भी बदलाव ला सकते है।
जैसे की एक कलाकार एक पेंटिंग या मुर्ती मे बदलाव लाता है।उन्हें पहले आपने आप को उस मुर्ती या पेंटिंग बनाने के लिए खुद मे बदलाव लाना होता है।
यही इस दुनिया का सच्च है।
इसीलिए हमें पहले हमारे समाज के बारे मे सोचना होगा तब हम आगे बढ सकते है
जो कोई समाज को आगे बढ़ाने की हिम्मत दिखाता हो उस इन्सान को प्रोत्साहन दो।बस मुझे यही कहना है।क्यों की समाज हम सबका है और हमें हमारे समाज के बारे मे हर अच्छा सोचने का पुरा हक्क है।
भाईयो सोच बदलो आपने आप सब कुछ बदलता हुआ नजर आयेगा।
धन्यवाद…………..

एक समाजहिंत चिंतक

गोर गजानन डी राठोड
स्वयंसेवक
जी.बी.एस.एस.भारत
9619401377