“सोच” अपनी अपनी

दोस्तों हमें जहर में अमृत मिलाकर कोई दे तो हम क्या करेंगे? उसे हमें पी लेना चाहिए।अगर हिरा,मोती,सोना,चाँदी यह चीजें किसी अपवित्र जगह पर मिले तो भी हम उठा लेते हैं।क्यों की हमें उनका मुल्य पता होता है।
लेकिन हमने कभी यह सोचा है।की ज्ञान और सही मंजिल कहाँ से प्राप्त होगी।दोस्तों हमें जब कोई गरिब व्यक्ति ज्ञान की कोई बात कहता है।तो हमें कैसा महसूस होता है।हमें लगता है।कि यह मनुष्य खुद में बदलाव नहीं ला सकता है तो मुझें क्या ज्ञान की बात कह सकता है।यही ना?
दोस्तों वह तो अपनी प्रस्तीथीयों से पिचे हैं।हम कैसे पिचे है।इसका जवाब है हमारे पास? भाईयों ज्ञान लेना और देना इससे सिर्फ ज्ञान बढते ही रहता है।ना की वह कम होता है।इन्हीं सभी बातों से आज हमारे समाज का क्या हाल हो चुका है।यह तो हम सभी को पता है।और अगर यह ऐसे ही चलता रहा तो भी क्या होगा यह हमे पता है। तो मेरे सभी गोर बंजारा भाईयों को निवेदन करता हूं।कि समाज में एकता होगी।यह तो निश्चित ही है।और हमने जिस समाज में जनम लिया है।उस समाज को उजाले में लाना यह भी काम हम सभी का है।हर राज्यों में अलग अलग संघटना,संस्था,समितीयाँ बंजारा समाज को एकसाथ लाने का प्रयास कर रही है।उसी संघटना संस्था और समितियों में से निस्वार्थी लोगोंको पहचान कर उनके साथ जुडकर समाज को आगे लाने के लिए निस्वार्थ भावना से आगे बढ़ना होगा।

धन्यवाद भाईयों
जय सेवालाल
गोर गजानन डी राठोड
स्वंयसेवक
गोर बंजारा संघर्ष समिती (भारत) 9619401377