“स्मार्ट सिटी या किसान”

“स्मार्ट सिटी या किसान”
भाईयों दोस्तो जय सेवालाल👏
महाराष्ट्र सरकार स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर बहुत उत्सुक हैं।
क्या स्मार्ट सिटी बनगई तो हमारे राज्य के किसान आत्महत्या करने का छोड देंगे..? क्या किसान को कर्ज से राहत मिलेगी..? दोस्तो सदियोसे हमारे देश को सोनेकी चिडीयां कहते हैं।और उसी देश मे आज किसान बंधु आत्महत्या कररहे हैं।क्या यह बात सरकार को पत्ता नही हैं।किसी किसी किसान के घरमे एक समय का खाना नशिब नही होता.और सरकार आज तक नही यह सोच पाई हैं।किशान नही रहे तो देश कैसा बचेगा.किशान नही रहे तो खाने को दाना नही मिलेगा.आज कल किशान के लिऐ कोई नही सोचरहा हैं। किसान कि विधवायें।हर दप्तर के सामने गिडगिडा रही हैं। उनके बच्चे खाने के लिऐ तरस रहे हैं।क्या करेगा आम आदमी. किसान के लिऐ हमारे देश मे कुछ मायने नही हैं। क्या भारत देश सोनेकी चिडीया कहलाने वाला देश था..? अब नही हैं। क्यो की हमारे देश मे किसान सुशिक्षीत नही तो देश सुशिक्षीत नही ऐसा लगता हैं। स्मार्ट सिटी किस के लिऐ ? उन्ह व्यापारीयों के लिऐ जो किसान से 1% मे खरीदकर 10% मे बेचते हैं।या उन समाज के ठेकेदारों के लिऐ जो किसान बंधुओ के वोटपर चुनकर आते हैं।और किसान को कुछ राहत नही देते.किस के लिऐ ? अगर बनानी हैं तो स्मार्ट किसान बनाईयें.जो कि देश का हर किसान दिल और जान लगाकर खेती करे व उन्हे अपने मेहनत का फल 100% मिले जब देखना हमारे देश मे खुशहाली आयेगी.और भारत देश किसानों का देश तो हैं।लेकिन हर किसान खुशियों से झुम उठेगा.हर किसान आत्महत्या करने के लिऐ नही बल्की उन्के बच्चों को अछी पढाई करवायेगा.तब देखना देश का नाम रोशन होगा.एक तरफ देश का किसान खतरे मे हैं।और हमारे सरकार कि सोंच बढरही हैं। क्या।यह जो सरकार सोंचरही हैं।वोह सही हैं।हमारे देश मे क्या महंगाई कम हैं। भला किसान क्या करेगा..? अगर स्मार्ट बनाना हैं तो काले धंदोसे बिकता हुआ शिक्षण स्मार्ट करना चाहियें। अगर करना ही हैं।तो किसानों को खेती मे लगने वाली सामग्री का भाव कम करना चाहियें।तब जाके देकना हमारे देश कि उन्नती.कैसी होगी.हर पाच साल मे सरकार बदलेगी और अलग अलग बाते होगी.लेकिन 67 साल मे हमारी सरकार किसी किसान के गांव को  नही बल्की बढे बढे व्यापारीयों के लिऐ शहर की बढी बढी हस्तीयों के शहर के लिऐ ही सोंचा हैं। तो किशान के लिऐ कौन सोंचेगा ? जिसदिन किसान नही रहेगा उस दिन देश मे बहुत बडा प्रलय आयेगा.
सोचना हमे हैं। सोंचों और किसान भाईयौं को स्मार्ट बानाने ने मे मदद करे..
धन्यवाद…
जय सेवालाल…
सौजन्य:-
गोर कैलास डी.राठोड
स्वयंसेवक गोर बंजारा संघर्ष समिती भारत,

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