हम कौन हैं…?
1) कोई बोलता हैं। हम हिंदू नही..
2) कोई बोलता हैं। हम सेकुलर हैं…
3) कोई बोलता हैं। हम हिंदू हैं….
4) कोई बोलता हैं। हम सेकुलर नही….
5) कोई बोलता हैं। हम गोर हैं…
6) कोई बोलता हैं हम गोर नही…
7) कोई बोलता हैं। हम ब्राम्हणो के गुलाम हैं…
8) कोई बलता हैं। हम ब्राम्हणोने बनाये हूये धर्म पर चलते हैं….
9) कोई बोलता हैं। हम बंजारा हैं…..
10) कोई बोलता हैं हम गोर माटी हैं…
इस मे सबसे जादा कंफ्युजन पैदा होरही हैं।
सच मे बताये हम कौन हैं…?
और हमारा धर्म क्या हैं…?
हमारे देव देवता कौन हैं…?
या है यी नही…?
हमारा समाज कौन से धर्म से संबंधित है…?
हमारे समाज का कोई धर्म ही नही…?
कृपया हमे बताये…
कृछ गलत लिखा हो तो क्षमा चाहता हूँ।
मेरा कहना यह कि हम कौन हैं।
हमारे समाज का अस्तित्व पहचान क्या हैं।
संस्थापक कौन…हैं।?
यह कहदीजीये…बाकी कुछ नही…गोर बंजारा..
गोर माटी कि उत्पती कैसै और कहा से हूयी…उनका उत्पादक कौन हैं।
हमारा इतिहास लिखीत स्वरुप मे है या नही।?
अगर हैं तो बताया जाऐ।
हमारे युवाओं को हमारे समाज के प्रति सभी जानकारी या होनी चाहिए या नहीं।?
समाज कि संस्कृति बहूत सुन्दर हैः लेकिन समाज के बंधूओ को संस्कृति के बारे में पता नहीं।
समाज के कुछ बुध्दिजीवि तथा साहित्यिकारोने जो मनचाही किताबें लिखी हैं।उन्ह मे ही परेशानियां (confusin) है।
तो कृपया हम कौनसे किताबों से और कैसे हमारी संस्कृति को जानकर समाज के प्रति युवाओं को जगाने कि कोसिश करेंगे,
या ऐसेही एक दुसरों के प्रति अवमान जनक टिप्पणियाँ करते रहेंगे?
हम सभी समाज बंधूओ ने यह कभी नहीं सोंचा है ।
हम एक दुसरोंपर किचड उछालकर समाज के प्रति अपना दुःख व्यक्त कर रहे हैं।
लेकिन जिस दिन हम सब यह पता लगाकर समाज के सभी साहित्यकार तथा लेखकों को इस इस कदर जानलेंगे तो सौ प्रतिशत समाज के युवाओं को अछी बाते तथा संस्कृति का पता चल जायेगा।
हम सभी समाज बंधूओ को एक जगह आकर कार्य करना जरूरी है।
वरना “सौ कोसेपर दिवो बळीय” जैसी हालातों से गुजरना होगा।
धन्यवाद ….
– गोर कैलास डी राठोड