जय सेवालाल
हम गरीब छा पण,
घमन्डी तो काव.
कला संस्कृती चाल चलणेरी
श्रीवंत गोरमाठी हाव,
जात छोडन पर जीतेम भळन
एक दाड झोळी मांडन हुबरजायीस-देख ठळन,
आज सोचल तु- ये वातेरी अर्थ करन,
अपणी रीती-नितीन देणु हमज मान-सम्मान,
खेचनु गोर जात अभिनेर तेर
मत लटकोरे परायीरे वोदो डोळान,
आवजे घडीन हटामा,
याडी मरीयम्मा- सेवाभायार नाम लेन,
धन्यावाद गोर बंजारा
गोरबंजारा कवि.📝
गोर. ईंदुमती लमाणी
प्रचारक:-✒
गोर रविराज एस. पवार
गोर बंजारा संघर्ष समिति (भारत)
स्वयंसेवक
8976305533