।। सेवालाल स्तोत्र ।।
अंह दुरतशते भोजयुगम मेचछा यासगतयं सेवा करोमि सक्रउत सेवया नितया. सेवा फंल तवं प्रतयचछते ः! ओम जय सदगुरु सेवाभायाय नमः भगवते अज्ञनिना मया दोशानत शेशानत ही तानहारे क्षम सवतव तोलाराम संवाराय सेवाभायाय नमः भगवते।।
।। अर्थ ।।
हे सेवालाल मै तुमारे चरणो को नमन (प्रणाम) कि इकछा से आकर आपके चरणो प्रथणा कर रहा हु! हे प्रभु सेवालाल आप मेरी इस सेवा से प्रसनन होकर मुझे आशिरवाद प्रदान करो.हे तोळाराम के उपर. सवहार करनेवाले शनकर अवतारी सेवालाल मुझ ज्ञानहिन कि भुल को माफ करणा.
सेवालाल माळा भकतः- प्रभु राठोड (कुलाबा)