“​चांदण रातेर हुंसी कासी”:- भिमणीपुत्र 

चांदण रातेर हुंसी कासी
  ये हुंसी कासीर खुसी ओ चांदानज मालम..!

कासीनं हानू प्रसन्न देखेर विये तो  ओनं चांदण रातेम देखणू कचं हानू डायसाणी केती आरी छ.चांदारो अन गोर कासीरो कायी नातो छ को भा…? इ गुपीत ओर सोबतणे मोटीयारमाल गोर छोरीऊनज मालम  !

   पेना इ कासी चांदार मारोणी छ कचं.खरो खोटो इ दोइनज मालम…!

               

        भीमणीपुत्र

   मोहन गणुजी नायिक

सौजन्य: गोर कैलास डी राठोड 

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