​”लबाड़ नारीया”  कवि:  सुरेश राठोड़, 

!!लबाड़ नारीया!!
एक वेत्तो नारायण ओरो,

नाम लबाड़ नारीया.!

हाटेन जावं,हातेमाई ,

ठालो-पालो झोरीया ……!!१!!

     

     लबाड़-सबाड़ बोलताणी ,

     झोरीया भरन लावं .!

     काम-धंदो छेनी माटी ,

     मस्त फरन खावं………!!२!!
परभातीती सांजेतांणू ,

करतोतो नकाम हादो .!

सोतार पिसार तंबाखू बी ,

कनाजं कोनी खादो…..!!३!!
        दनभर आतं-ओतं ,

         ठाली-भरी छोड़ .!

         संधी देकन गोर गरीब ,

         लोकुर मुंडी तोड़……!!४!!
तांडेमाई चारीवड़ी ,

कळं लगातोतो .!

लुड़ी लगाताणी सारी

तांडो सळगातोतो…….!!५!!
       आसोजं चालो कांई दनं ,

        लोक वळख लिदे .!

        सारी तांडेमाई पचं ,

        एकी कर लिदे………!!६!!
आबं सारी तांडो ओन ,

कचं “लबाड़ नारीया” ,!

बंद वेगो नकाम हादो ,

ठालो रेगो झोरीया …….!!७!!

कवि: सुरेश राठोड़, काटोल-नागपूर

कवि:  सुरेश राठोड़, काटोल-नागपूर

प्रमुख प्रतिनीधी: रविराज एस. पवार

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