121 साल पहले आज ही के दिन महान भारतीय दूरदर्शी और सुधारक स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका की जमींन से पूरी दुनिया को विश्व बंधुत्व का संदेश दिया था. स्वागत संबोधनः शिकागो, सितंबर 11, 1893 “मेरे अमेरिका के बहनों और भाइयो …” आप सभी ने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया है उसके प्रति आभार प्रकट करने निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा है। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परंपरा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं। धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूं और सभी संप्रदायों एवं मतों के कोटि-कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूं। मैं इस मंच पर से बोलने वाले उन वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद करता हूं जिन्होंने आपको यह बतलाया है कि सुदूर देशों के ये लोग सहिष्णुता का भाव विविध देशों में प्रचारित करने के गौरव का दावा कर सकते हैं। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते, वरन समस्त धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार करते हैं। 11 सितंबर को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में पार्लियामेंट आॅफ वल्र्ड रिलिजन्स में ये तेजस्वी भाषण दिया था. पूरे विश्व में इस दिन को विश्व बंधुत्व