“गर्व का इतिहास और शर्म का वर्तमान”
“गर्व का इतिहास और शर्म का वर्तमान” एक बंजारा नाम का प्राचीन समाज था जिसमें गोर समाज के पहले गुरू देमा गुरू के शब्द सिकच सिकावच सिके राज धघडावच,सिके जेरी साज पोळी,जैसे शब्दों का उच्चारन अबतक समाज के होटोंपर होली के दिन गुंजता है। और समाज के महान संतों मे पिठा गौर,क्रान्तिवीर सेवालाल महाराज जैसे…