31 आँगस्त यह दिन विमुक्त दिन बढे धुमधाम से मनाया जाता हैं। लेकिन
मुझे नही पत्ता के विमुक्त जाती आज
भी स्वतंत्र है।क्यो की विमुक्तो को
सरकारी दस्तावेज मिलने वाले नही मिल पाई हैं।
और हम विमुक्त दिन खुशियों से मनाते चले आरहे हैं। क्या
हमारी कुछ शर्ते सरकार ने मानली हैं।हमे
सरकार की ओरसे जो मिलना चाहिये वोह मिल रहा हैं।क्या
हमारे परिवार पुरे दिल से रूबरू हैं। मेरे विमुक्त भाईयो जोगो…एक होना
बहुत जरूरी हैं।जिसे आरक्षण की जरूरत
नही वोह भी कत्तार मे खडे हैं।यह सरकार
की चाल हैं।तांकी जिन्हे आरक्षण
नही चाहिये उन्हे कत्तार मे खडा देख विमुक्त
भी सत्तार से हटजायेगा और आरक्षण का मसला हल
होजायेगा।यह सोच सरकार की हम पुरी
कभी होने देंगे।हमे सिर्फ एक होकर लढना होगा क्यो
की जबतक हम एक नही होंगे और
कही साल गुजर जायंगे।सरकारे बद्दलती
रहेगी लेकिन हमारी मांगे वही
रहेगी। कितने गरीब लोग भुके रहरहे हैं
किसी को कुछ नही पडा हैं।सिर्फ हमारा उपयोग
करना चाहरहे है।और हम भी आस लगाये बैठे हैं।
“जागो…विमुक्तो…जागो”
विमक्त दिन को शुभ कहे या क्या कहे कुछ समज मे नही
आता क्यो की हम और भी स्वास्थ्य
नही हैं स्वतंत्र नही हैं।
हमे जागना होगा तभी सरकार को हिलाकर छोडेंगे वरना कुछ
सालो से जो लढरहे है। वोह भी मिठी मे मिल
जायगा..
धन्यवाद….
गोर कैलास डी.राठोड