बंजारा धर्मपीठ और भक्तिधाम क्यों – गोविन्द राठोड़
पोहरादेवी: बंजारा समाज की अपनी सभ्यता, सस्कृति, भाषा, आचार-विचार, रहन सहन, वेशभूषा और परंपरा है. आज इस विशेष संस्कृति को बचाना अत्यंत आवश्यक है. समय के साथ व आधुनिकता के इस युग में हम अपनी भाषा व संस्कृति, परंपरा को भूलते जा रहे है. आधुनिक व पढ़ा लिखा परिवार तो बंजारा संस्कृति व भाषा भी…