Kailash Rathod

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“गर्व का इतिहास और शर्म का वर्तमान”

“गर्व का इतिहास और शर्म का वर्तमान” एक बंजारा नाम का प्राचीन समाज था जिसमें गोर समाज के पहले गुरू देमा गुरू के शब्द सिकच सिकावच सिके राज धघडावच,सिके जेरी साज पोळी,जैसे शब्दों का उच्चारन अबतक समाज के होटोंपर होली के दिन गुंजता है। और समाज के महान संतों मे पिठा गौर,क्रान्तिवीर सेवालाल महाराज जैसे…

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युवाओं से भरा बंजारा समाज,समाज मे युवकों का योगदान अहम”-भाग 2,

युवाओं से भरा बंजारा समाज,समाज मे  युवकों का योगदान अहम !! (भाग -2)   हमारी युवा शक्ति और युवा कंधे हमारे समाज की अमूल्य धरोहर और बहुमूल्य सम्पदा होती हैं। और इस बात को युवाओ ने हर युग और अतीत में साबित भी किया हैं।यह सत्य है। युवाओ में अंसभव के पार देखने की अद्भुत…

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“बंजारा समाज के सभी युवकों को यह शपथ ग्रहण करणी होगी”

​!!शपथ!!! संत क्रांतिवीर जगतगुरु सेवालाल बापू के जयंतीअवसर पर ये शपथ लें कि हम हमारी संस्कृति ठीक से याद करे और कोई भी काम या वाच्यता से समाजद्रोह की भूमिका ना निभाए सबको योग्यता के अनुसार मान सनमान दे हमारे समाज ने बहुत भुगता है और ना भुगतना पड़े याद रहे जीवन का ये क्षण…

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“युवाओं कि ताकत से भरा बंजारा समाज,समाज मे युवकों का योगदान अहम”

​”युवाओं की ताकत  से भरा बंजारा समाज,समाज मे आजके युवकों का योगदान अहम”!! हमारी राजनीतिक अदूरदर्शिता और सामाजिक व प्रतिबद्धता में कमी के चलते वर्तमान में बंजारा समाजकी जो तस्वीर कुछ अलग बनी है, उससे हर व्यक्ति का समाज मन   विचलित है। सबके मन में रह-रहकर एक ही प्रश्न बार-बार उठ रहा है, क्या…

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“कवीवर्य मा.श्रीकांत पवार साहेब यांच्या “केसरी केसुला” या बंजारा काव्यसंग्रहास: लेखक प्रा.दिनेश राठोड यांनी दिलेली प्रस्तावना सह-शुभेच्छा

​*मा.कवीवर्य श्रीकांत पवार साहेब यांच्या केसरी केसुला या बंजारा काव्यसंग्रहास*  लेखक प्रा.दिनेश एस. राठोड यांनी दिलेली प्रस्तावनासह शुभेच्छा 🎼🎼🎼🎼🎼  सर,“कविता म्हणजे काय?” हा प्रश्न सारखा सतावत होता. आपल्या काव्यातुनच खरी  व्याख्या कळली. आपले काव्य म्हणजे  ‘निःशब्दाला शब्दरूप करणारे साधन,’ ‘ गोरबंजारा भावनांचा उस्फूर्त आणि उत्कट  आविष्कार,’ ‘सृजनशील गोर आत्म्याचा उच्चार’ आणि अस बरच काही सांगता…

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“गोरमाटी संस्कृतीर धूणीं”

​आपणे गणगोतेम कतो गोरमाटीर धाटीम धूंवाडी छ.  धूंवाडी घालेसारू आपण वंळीवंळा धूणी करतेते. पणन यी धूणी साबीत भळन कोनी करतेते. जो भोग लछं वू धूणी करतोतो. जो चोखो पूजा करतेते वो आपापणे घरेम धूणी करतेते. धोळी लंघी मूंढयांघ फकसी वूद घालतेते. साबीत भळन कतो सार्वजनिक रूपेती धूणी कोनी बाळतेते. वीयार वणा चार पाचसे लोक जमतेते…

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“कवीवर्य मा.श्रीकांत पवार साहेब गोर साहित्याचा तेजस्वी तारा”

​कवीवर्य.मा.श्रीकांत पवार     साहेब गोर साहित्याचा तेजस्वी           “तारा” सर, आपण 1960 वा त्या पूर्वी पासून ते आजही अविरत काव्य व ललित लेखन करित आहात…  या पार्श्वभूमीवर बंजारा  माणसांना बंजारा समाजाशी, आपल्या  बदलत्या  संस्कृतीशी नातं भक्कम करण्यासाठी समाजाच्या विविध समस्यावर आपले साहित्य प्रकार नक्कीच उपयोगी ठरत आहे..ठरत राहणार आहे. समृद्ध…

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प्रा.दिनेशभाऊ राठोड तमेन जल्म दनेर कोटी कोटी शुभेच्छा- गोर कैलास डी राठोड,

​*जिवेद शरद शतम्* वसंतराव नाईक बंजारा परिवर्तन चळवळ महाराष्ट्र राज्येरो राष्ट्रीय अध्यक्ष अन् हामारो मार्गदर्शक मा.प्रा. *दिनेशभाऊ सेवा राठोड* येंदुन जल्म जनेर कोटी कोटी शुभेच्छा… भीया तमार प्रत्येक विचार लिंबडासू फेलणो…तमार प्रत्येक शब्द घूलरासू वदणू. तमार कार्य नेहमी चारी दिशान गोर संस्कृतीर कार्येन हातभार लागणू.तमार प्रत्येक शब्द हवार दिशान जान काणी समाजेर प्रत्येक युवकेन दिशा…

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“अखिल भारतीय बंजारा साहित्य सम्मेलन बाबत”

​*अखिल भारतिय बंजारा साहित्य संमेलन बाबत* ✍ *गोर कैलाश डी.राठोड* तथा समाज बांधव           ( मुंबई व ठाणे )     डॉ विजय जाधव सर व प्रा.कृष्णा राठोड यांनीसाहित्य संमेलन संदर्भात  दिलेली माहिती- वजा सुचना गोर बंजारा अभिवृत्ती व अंतःकरणाला पूरक आहे का? असा प्रश्न सामन्यात तयार होणे साहाजिकच आहे.मागील वर्षी…

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“बंजारा समाज सदियो पूराना”

भारत की सबसे सभ्य और प्राचीन संस्कृती सिंधु संस्कृती को माना गया है। इसी संस्कृती से जुड़ी हुई गोर- बंजारा संस्कृती है और इस गोर बंजारा समाज का  वास्तव पुरी दुनियाभर में है और उन्हें अलग अलग प्रांत में अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे महाराष्ट्र में बंजारा, कर्नाटक में लमाणी, आंध्र में…

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