Kailash Rathod

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“लोक शाहित्येम कुल चिन्ह”: आदिम ईतिहास,

“लोक शाहित्येम कुल चिन्ह”आदिम ईतिहास, भुकिया,(राठोड)कुल चिन्ह शेंबळ, शेंबळ हारो,भुकिया खारो, भुकियार मातेपर शेंबळेर भारो..। भुको भुकिया भावळीर मिनाम,लेरा लेरो,।।। ——————————- पवार कुल चिन्ह:-पंबोड्या, पवार गोत्र,पंबोड्यार भाजी खायनी, पोवार साजी पंबोड्यार भाजी,पंबोड्यार बि..जा..इजा केलागो..। बंजारा साहित्यक: भिमणी पुत्र मोहन नायक, सौजन्य:- गोर कैलास डी.राठोड, स्वयंसेवक गोर बंजारा संघर्ष समिती भारत, प्रमुख आँडिटर बंजारा न्युज, मो.9819973477

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“हररिश्ते में जरूरी हैं:रिस्पेक्ट”~ गोर कैलास डी.राठोड

हर रिश्ते में जरूरी है : रिस्पेक्ट. बदलते परिवेश में रिश्तो की परिभाषा जरूर बदली है, पर रिश्तों की अहमियत आज भी पहले जितनी ही है। हर स्थिति में अपने हर रिश्ते को सदाबहार रखने का एक ही मंत्र है- हर रिश्ते को समुचित आदर देना।  हमारा समाज विभिन्न रिश्तों की मधुर डोर से बंधा…

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“जिंदगी के सफर मे पाच इंसान कि जरूरत”

मुझे पैसा नही बल्की,इंसान जोडना हैं। आप सब मेरे भाईयों को मेरा कहना हैं। जिंदगी के सफर मे हर भाई कम से कम चार भाईयों को जोडना बहुत उच्चित रहेंगा। पैसा,धन,कारोबार कुछ साथ नही आता,आत्ता हैं तो बस आपका आछा कर्म,समाज के लिऐ किया हुआ कर्तव्य,आप दुसरो के लिऐ अछा सोचोंगे तो दुनिया आपके लिऐ…

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“स्मार्ट सिटी या किसान”

“स्मार्ट सिटी या किसान” भाईयों दोस्तो जय सेवालाल👏 महाराष्ट्र सरकार स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर बहुत उत्सुक हैं। क्या स्मार्ट सिटी बनगई तो हमारे राज्य के किसान आत्महत्या करने का छोड देंगे..? क्या किसान को कर्ज से राहत मिलेगी..? दोस्तो सदियोसे हमारे देश को सोनेकी चिडीयां कहते हैं।और उसी देश मे आज किसान बंधु आत्महत्या…

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“बालपणीची एक हृदयस्पर्शी आठवण”

“बालपणीची एक हृदयस्पर्शी आठवण” मी लहान होतो तेव्हाची गोष्ट. प्रत्येत आईप्रमाणेच माझी आई आम्हा सर्वांसाठी जेवण तयार करायची. दिवसभर कष्टाची कामे करून आई खुप दमून जायची. एके रात्री आईेने स्व यंपाक केला आणि माझ्या बाबांना जेवायला वाढले. त्यांच्या ताटात एक भाजी आणि एका बाजूने पुर्णपणे करपलेली भाकरी दिली.त्या जळालेल्या, करपलेल्या भाकरीबद्दल कोणी काही बोलतेय का…

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जिल्हा आधिकारी ठाणे मे निवेदन देते हुये पदाधिकारी – GBSS

गोवा राज्य मे बंजारा समाज के धर्मगुरू संत श्री सेवालाल महाराज व बंजारा कुलदेवी के मंदिर व बंजारा समाज के घर गोवा सरकार द्वारा तोड़े जाने का कड़ी निंदा करते हुवे गोर बंजारा संघर्ष समिति द्वारा समाज के गरीबो को घर व ससम्मान मंदिर वहीँ बनाकर देने के लिए देश के प्रधान मंत्री लिक्खे पात्र…

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“ऐ सुख तु मिलता कहाँ हैं”

ऐ   “सुख”  तू  कहाँ   मिलता   है क्या   तेरा   कोई   पक्का   पता  है क्यों   बन   बैठा   है    अन्जाना आखिर   क्या   है   तेरा   ठिकाना। कहाँ   कहाँ     ढूंढा   तुझको पर   तू  न   कहीं  मिला  मुझको ढूंढा   ऊँचे   मकानों   में बड़ी  बड़ी   दुकानों   में स्वादिष्ट   पकवानों   में चोटी   के   धनवानों   में वो   भी   तुझको   ही   ढूंढ   रहे   थे बल्कि  …

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