Raviraj S. Pawar

वघम खरब छ→जागो गोरमाटी, कवी: सुरेश राठोड़

!!वघम खराब छ→ जागो गोरमाटी!! नंगारार घोरेम रीजो गोरमाटी । वघम खराब छ,जागो गोरमाटी।धृ। एक जाग आवो,धासो मत छेटी। लोकशाहीमायी लोक खोसरे छ बाटी।। काळवेळ भारी छ,सावधान माटी ।१। वघम खराब छ..जागो गोरमाटी…. छोड़ो हेवा-दावा,एकजागंआवो। सुतेचं ओंदुन,जलदी जगावो ।। केगे बापदादा,जरा ध्यान दरे माटी।२। वघम खराब छ..जागो गोरमाटी…. केन क छ गामी?कुण प्रतिगामी? आपणो समाज,पेनातीजं…

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मुकदमेरं हाल अन् लेबरेरं बवाल (कवी: सचिन राठोड)

मुकदमेरं हाल अन् लेबरेरं बवाल. आवगी गाडी हातेमाई कोयता मुकदमं केरो मारेहातेमं सत्ता धासगे लेबरं छेयीं ओनूर पता सायब केरो दाखवतो तुला आता. (1) गाडी खेचनं लेलेगे सायब पिसा लेबरं हेगे गायब बाई केरी घटना घडगी अजब मुकदमं केरो येळं आयीं खराब. (2) दारू पियेन बेटें बारेंम जिंदगी जगरे ऐषआरामं बाई केरी कसो मळों या…

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“हसाब” कवी – विनोद राठोड

मथुरा कमावं बत्तीस, मथुरी गमावं छत्तीस जुळतो जूळेनी हसाब करलो कतराभी कोशीश.. गोरमाटी आपणेच तालेमं वाते वातेम करच रिस.. विचारेती निर्णय छेनी सारखो हिडीस फिडीस.. दारूम दारू मोवडार दारू पिवचं सिशी प सिशी.. शुध्दी छेनी बुध्दी छेनी पडतानी तूटच बत्तीसी.. मनेम बांधलो गाठ करनू न थाट माट.. व्यर्थ खर्चा छोडो गरजेपूरताच करनू हाट.. घर गहान…

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●●● !!तांडेसामू चालो!! ●●● कवी. सुरेश राठोड़

●●● !!तांडेसामू चालो!! ●●● चालो, चालो, चालो ! तम तांडेसामू चालो !! तांडेर ऊध्दार करेरो !!! बिड़ो खांदेपर लेलो……!!धृ!! जलम हुवो तांडेम आपणो, तांडो किदो प्रतिपाळ ! ऊंच ऊंच भरारी लेयेन, पंखेम दिनो बळ !! तांडेर पुन्याईती खारेचा, तांडेन मत भुलो……….!!१!! चालो चालो चालो…….. शाळा सिकायो, आंग धकायो, तांडेरी पुन्याई ! वेळा वक्तेन साई हुवोच,…

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खामोशी, कवी – विनोद राठोड

खामोशी एक काले टीले पर खड़ा मैं कूछ कहता हुँ तो तो चारों और गूँजती है मेरे अपने शिकस्त की आवाज नजरों के सामने एक मैदान है अरमानोंके घोड़े दौड़ते हुये ये मैदान , मैदान नही रणभुमी है…..! रणभूमी मुझे निहारती है रणभूमी मुझे पुकारती है रणभूमी मुझे ऊकसाती है ऐ धरती के राजपूत्र आओ…

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तांडेसामू चालो, कवी. निरंजन मुडे

तांडेसामू चालो नवमीना नव दन पेटेम रकाडी मातेपर भारो कना वेगीको सूवाडी तारे सारू संजीवनी वोरी नवनाडी सेरेम बंधागी तार बंगलान माडी पडगी झूपडी तरी टांढो कोनी छोडी हारपंणीं याडीरी लडी ध्यानेमायी लेलो टांडेर उत्थानेसारू ‘तांडेसामू चालो’.. रमतू रमतू तोनं से कीदे हूडं हूडं सोगन खायेनं तू तो वटायोतो धूडं फूटागे से गोडा आबं जादा…

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ध्यास (बंजारा कवीता) सौ, अश्विनी रविंद्र राठोड

ध्यास हातेम कोयता छ दाडी गमागी छ हातेरी रेषा भविष्य दकाये कायीं कोनी रीछ आब कसेरी आशा कष्ट संपतू संपरो कोनी कना संपीये यी वाट साटा तोडेर वेला ये बाई घालरेछी येमेरी गाट येगीछ वलटी सलटी कोयता पकडन मारी आंगळी हेट नवन साटा तोडू छू पूटेपर पडगी छ खळी घणो मेल मेली छू विश्वास कामापेर…

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‘लिखनाको इतिहास आसो ‘ एकनाथ गोफणे

‘लिखनाको इतिहास आसो ‘ ……… इतिहास साक्ष देणार होता बंजारा तुझ्या गौरवाची म्हणूनच कुणीतरी घातला खोडा, तुझा इतिहास मिटविण्यासाठी…….. तुच शोधत होता बंजारा रोज नवी वाट , प्रगतीसाठी सर्वांना मिळावी समान संधी या घटनेच्या तत्वाचा तूच होतास रे अधिपती….. निसर्ग जपण्याचा संदेश देणारा, होतास तू ‘संदेश वाहक ‘_.. तुझ्यावरच अन्याय करुन का दिला तुला कुणीतरी…

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समाज चिंता पर दी वाते, भास्कर राठोड़ 

समाज चींता मारासटेर वळक यी येक परीवरतनेर आन पूरोगामी वछारेर भूमी (धरती) छं, येरज सोबत ये देसेनं (भारत) सूद वाट वतायवास यी माराटर (महाराष्ट्र ) राजेय (राज्य ) करतो आयो छं, देस आन सारी जगेनं घढायेर वछार देयेवाळे सीवाजी माराज, फूले, साहू माराज, कर्मयोगी संत सेवाभाया, लकीसा बंजारा वोर सातोसात समतार पूरसकारेर मानकरी आसो डा….

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आज म स्वतान देखरो छू, (बंजारा कवीता. रविराज एस. पवार)

जो छेनी वू दीखेनी जो छेनी वोनज म का देखरो छू ? आज म स्वतान देखरो छू!! मार मजबूरीर म चीत्र बणारो छू जो पूरो वेनी वोन रंगेती सजारो छू आन जो खोटो छ म वोन मार जींदगीम का वसा मेलो छू ? !! जो छेनी वू दीखेनी जो छेनी वोनज म का देखरो छू…

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