“पेणार वाणी”:माटी मारतीया रामचंधिया भुकीयां

== जो माटी समागो, वोर बेटासारू सीकवाडी घालं छ. === 👵🏽  सीकवाडी  😰    👵🏽 सामळो भा! रामीया, हेणी हेणी हीयी छ. नेकी बदी सराण लेन, पाडे सरीक पडावू ढळकगे छ. सेन वोज वाटेती जाणू छ. आज खावां छा, सवारेर भरोसो रेयेनी. वसोज मरण धरण केरी हातेर रेयेनी. हारे मायीर मोती पडते जाय, वेण माता…

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बंजारा संस्कृती:जगेर वेगळी रीत,

== जगे वेगळी रीत- नवलेरी – वेतडून हेटाल वूचाल मूंढो करताणी बसारतेते. नवलेरीरो मूंढो घरेसामू मंझे वूचाल रेतोतो आन वेतडूरो मूंढो हेटाल रेतोतो. आसो का बसारतेते ? येपर गोर ( संशोधन ) कीदे आन कारण ढूंढे तो बकळ वातेर जबाब मळीये. आसो मारो केणो छ. कारण कळरो कोनी करन आजकाल दोयीन हेटाल मूंढो करताणी बसाररे…

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“बंजारा संस्कृती” दसरावेम चोको खुप म्हतवेरो,

== चोखो पूजा भर रछं, ठाल रेयेनी करन पूणेंर पोळी- कडायी आन बाटी-नारेंझा बना चोखो आधूरो छ. मरयामारो चोखो गोल रछं आन आयीरो चोखो चवरस रछं. दसराव पूजा करतू वणा दूसरो कायीं न करणू. कतो गोठ, जावळ आसो कायीं न करणू. टांढेम येके घर दसराव पूजा करतू वणा टांढेर दूसरे घरं दसराव पूजा आन दूसर…

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“पेणार वाणी” – Penar wani

== ये सेवे छ आन सेवेर मायी चवकोनी ‘ नायेकडा ‘ छ. दांढी मंझे हेंढगी पूनमेर दूसरे दाडेती होळी पूनमेर आंघेर दाडे तोणी टांढेवाळी सेवे करं छ. जे परात, छादळाम सेवे करं छ, वोम मायी नायेकडा करन बसारे बना सेवे करेनी. नायेकडार मायी सेवे करेरो तेल भरं छ. === -मारतीया रामचंधीया भूकीया

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“पेणांर वाणी”

== ये सेवे छ आन सेवेर मायी चवकोनी ‘ नायेकडा ‘ छ. दांढी मंझे हेंढगी पूनमेर दूसरे दाडेती होळी पूनमेर आंघेर दाडे तोणी टांढेवाळी सेवे करं छ. जे परात, छादळाम सेवे करं छ, वोम मायी नायेकडा करन बसारे बना सेवे करेनी. नायेकडार मायी सेवे करेरो तेल भरं छ. === -मारतीया रामचंधीया भूकीया सौजन्य:गोर कैलास डी.राठोड…

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“पेणार वाणी”:माटी गोर मारतीया रामचंधिया भुकीया,

== ????  आरदास  ???? जे जे मरयामा याडी सायेबणी खंढळ मंढळ तार छ धणीं मातान सायी वेणू रात दनेर चारी पोर तार छ जतं समरा वतं आढण आणू लोयी पाणी तारो छ दी पगा चार पगान सायी वेणू वेलवाडी तार छ सेरी वेले मांढवान पूछाणू वाड वसतीर वूरी छी कीडी मूंघी जीव जणगाणीन सायी वेणू…

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“पेणार वाणी”

== आजकाल तमासो ( सीनेमा ) करेवाळेर आन केरी तोयी देकादेक कोयी नायक, अदीनायक, गणनायक, पटनायक, सरनायक, आसे नाम लगाड लेरे छ. केण छ, ‘ भीकी येे भीकी तू केर देकन सीकी.’ देकन सीकेवाळ दूसरेर देकन कररे वीये. भलायी करो! आसेन घूंढीवाळे हाडकारो मानेरो भाग टांढेवाळ देवाळ छेयीं. यी वात धेनेम रकाडो. आसे लोक दस…

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बंजारा समाज का  प्राचीन इतिहास

भारत की सबसे सभ्य और प्राचीन संस्कृती सिंधु संस्कृती को माना गया है। इसी संस्कृती से जुड़ी हुई गोर- बंजारा संस्कृती है और इस गोर बंजारा समाज का  वास्तव पुरी दुनियाभर में है और उन्हें अलग अलग प्रांत में अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे महाराष्ट्र में बंजारा, कर्नाटक में लमाणी, आंध्र में…

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बंजारा समाज का  प्राचीन इतिहास

भारत की सबसे सभ्य और प्राचीन संस्कृती सिंधु संस्कृती को माना गया है। इसी संस्कृती से जुड़ी हुई गोर- बंजारा संस्कृती है और इस गोर बंजारा समाज का  वास्तव पुरी दुनियाभर में है और उन्हें अलग अलग प्रांत में अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे महाराष्ट्र में बंजारा, कर्नाटक में लमाणी, आंध्र में…

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