!!ऊतरारो तावड़ो!! कवि: सुरेश मंगुजी राठोड़,
०००००० !!ऊतरारो तावड़ो!! ०००००० ========================= ऊतरार तावड़ेम जीव घबरावं..! हाड़े मासेर गोळान पाझर फुट जावं……!!१!! मधेमचं आभाळेम एकांदी ढग चलो आवं..! हावारे झोकेती परीस्ना थंडोगार लाग जावं…..!!२!! परीस्नाती डिलेपर कपड़ा भिंजा जावं..! तुटे ताटे दोड़ चपलेती याड़ीरो आधो पग भुंजावं.!!३!! फाटे फुटे फेटीयार याड़ी करलेताणी खोळो..! तोड़ मुंग वड़द बरबटी ओरो सुका जाव गळो…..!!४!! दन…